जनप्रवाद, ब्यूरो, नई दिल्ली। अगर दुश्मन पाताल में भी छुपा होगा तब भी बच नहीं पाएगा। भारत ने सुखोई फाइटर जेट से गौरव बम का सफल परीक्षण किया। यह ग्लाइड बम कई मायनों में खास है। 1,000 किलोग्राम वर्ग का यह ग्लाइड बम पूरी तरह स्वदेशी है। इसे रिसर्च सेंटर द्वारा संयुक्त रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है। भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ ने एक अन्य कंपनी के साथ मिलकर बड़ी सफलता हासिल की है। गौरव बम को डीआरडीओ और आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान और चांदीपुर के सहयोग से डिजाइन किया है। इस स्वदेशी रूप से विकसित लंबी दूरी के ग्लाइड बम गौरव का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। 1,000 किलोग्राम के इस बम को भारतीय वायु सेना द्वारा सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान से दागा गया। हथियार को विभिन्न वॉरहेड कॉन्फिगरेशन के साथ कई स्टेशनों पर एकीकृत किया गया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीआरडीओ, वायुसेना और उद्योग जगत को इस सफल ट्रायल के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि गौरव लॉन्ग-रेंज ग्लाइड बम का विकास सशस्त्र बलों की क्षमताओं को और अधिक मजबूत बनाएगा। इस प्रणाली के विकास में डेवलपमेंट-कम-प्रोडक्शन पार्टनर्स अदाणी डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज, भारत फोर्ज और विभिन्न एमएसएमई का सहयोग रहा। रक्षा मंत्रालय के अनुसार परीक्षणों के दौरान इस बम ने लगभग 100 किलोमीटर की दूरी तक अत्यंत सटीकता के साथ लक्ष्य को निशाना बनाया। बता दें कि गौरव का पहला परीक्षण पिछले साल अगस्त में किया गया था। एक बार जब बम हवा से लॉन्च किया जाता है, तो ग्लाइड बम जीपीएस डेटा के कॉम्बिनेशन के साथ अत्यधिक सटीक के साथ वार किया। इस परीक्षण में नेविगेशन तकनीक का इस्तेमाल किया गया। इससे यह बम अपने टारगेट की तरफ सटीकता से बढ़ा। परीक्षणों की निगरानी डीआरडीओ और भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई। ये परीक्षण भारतीय वायुसेना में इस हथियार के शामिल होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। भारतीय वायुसेना इस बम की मदद से दुश्मन के ठिकानों, रडार स्टेशनों, बंकरों को अधिक सटिकता से हमला करने में मदद मिलेगी। वायुसेना अब दुश्मन की सीमा में घुसे बिना दूर से हमला कर सकेगी। वहीं हमला करने के बाद पायलट भी सुरक्षित रहेगा। यह लगभग 100 किलोमीटर की दूरी तक सटीकता के साथ लक्ष्य को भेदने में सफल रहा। ग्लाइड बम का बम का सफल परीक्षण करके दुश्मन को संदेश दे दिया गया है कि उसकी किसी भी हिमाकत का अंजाम उसकी तबाही होगी। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत ने पूरी डीआरडीओ टीम को इस सफल परीक्षण के लिए शुभकामनाएं दीं। बता दें कि भारत ने बीते सप्ताह ही सतह से हवा में मार करने वाली एक विशेष मिसाइल का परीक्षण किया था। यह सफल परीक्षण डीआरडीओ और भारतीय सेना ने मिलकर किया था। यह आर्मी संस्करण की मध्यम-दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है।
Rajneesh kumar tiwari