जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। अब भारत को महाविनाशक लड़ाकू विमान मिलने वाला है। इसकी ताकत देखकर दुश्मनों के होश उड़ जाएंगे। इस महाशक्तिशाली बाम्बर का नाम टीयू-160 है। यह एक बार में 12000 किमी की दूरी तक बम की बारिश करता रहता है। रूस ने एक बार फिर से दोस्त भारत को अपना भारी बमवर्षक विमान टीयू-22 एम-3 और टीयू-160 वॉइट एम स्वान देने की पेशकश की है। डिफेंस मीडिया आउटलेट आईडीआरडब्ल्यू ने अपनी रिपोर्ट में इस बारे में जानकारी दी है। रूस में डिजाइन किए गए टीयू-22 एम-3 को दो दशक पहले भारतीय नौसेना को आफर किया गया था। महंगी कीमत और आधुनिकीकरण पर आने वाले खर्च के चलते डील फाइनल नहीं हो पाई थी। अब रूस ने एक बार फिर टीयू-160 एम भारत को देना चाहता है। इससेभारत की मारक क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। बता दें कि टीयू-160एम टीयू-160 वॉइट स्वान का अपग्रेडेड वर्जन है। टीयू-160एम की खासियत यह है कि इसका उत्पादन अभी भी जारी है। 2018 में एक कॉन्ट्रैक्ट के तहत रूसी वायु सेना ने इसकी 10 यूनिट का आॅर्डर दिया था, जिसे 2027 तक डिलिवर किया जाना है। इसके अपग्रेडेड मॉडल में व्यापक एवियानिक्स और नेविगेशन खूबियों को जोड़ा गया है। विमान को बनाने वाली रूसी कंपनी टुपोलेव का दावा है कि टीयू-160 एम का नया अपग्रेड पिछले मॉडल की तुलना में 60 फीसदी ज्यादा प्रभावी है। आईडीआरडब्लयू ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि एक टीयू-160एम की संभावित कीमत 16.5 करोड़ डॉलर यानी करीब 13 अरब रुपये है। यह एक साथ 1200 किलोमीटर की लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल या फिर छोटी दूरी की न्यूक्लियर मिसाइल ले जाने में सक्षम है। यह बमवर्षक बिना दोबारा ईंधन भर जाने के बाद फिर 12000 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। ऐसे में भारत के बेड़े में इसके शामिल होने से भारतीय वायु सेना को हिंद-प्रशांत और उसके आगे तक शक्तिशाली प्रतिरोध और हमले करने की क्षमता हासिल होगी। भारतीय वायु सेना पारंपरिक रूप से भारी बमवर्षकों के बजाय मल्टीरोल फाइटर जेट पर फोकस करती रही है। इसके बेड़े में वर्तमान में एक भी स्ट्रैटेजिक बॉम्बर नहीं है। टीयू-160 एम को हासिल करने से भारत की दीर्घकालिक प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होगी। वहीं भारत के लिए इसकी भारी अधिग्रहण और परिचालन लागत ऐसा विषय है, जो महत्वपूर्ण हो सकता है। भारी बमवर्षकों के बेड़े के रखरखाव के लिए बड़े ढांचे और ठोस निवेश की भी जरूरत होगी। दूसरी ओर पायलटों के विशेष प्रशिक्षण के साथ ही इन बमवर्षकों को रखने के लिए भारतीय वायु सेना को विशेष अड्डों को तैयार करना होगा।
Rajneesh kumar tiwari