जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत को अपना पहला फिफ्थ-जनरेशन स्टील्थ फाइटर जेट कब तक मिलेगा इसका खुलासा हो गया है। पांचवी पीढ़ी के विमान को लेकर डीआरडीओ चीफ ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि स्टील्थ फाइटर जेट की उड़ान 6 से 12 महीनों के भीतर होगी। कुछ मीडिया आउटलेट्स ने डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत से सवाल पूछे। इन सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि नए फाइटर जेट बनाने में काफी समय लगता है। अगर आप दुनिया में कहीं भी कोई प्रोग्राम देखें, तो एक नया प्लेटफॉर्म डेवलप करने में 10 से 15 साल लगते हैं। हमने 2024 में ही इसकी शुरुआत कर दी है। जब सीसीएस ने प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। इसलिए अभी इसमें दस साल लगेंगे और हमने 2035 तक 5वीं जनरेशन का स्टील्थ फाइटर जेट तैयार करने का वादा किया है। इसका मतलब है कि भारत को आधुनिक तकनीक वाला लड़ाकू विमान मिलने में अभी थोड़ा समय लगेगा। उन्होंने कहा कि एमएकेआई-2 की पहली उड़ान 6-12 महीनों के भीतर होगी। जिससे अक्टूबर 2025 की शुरुआत में उड़ान की अटकलें लगाई जा रही हैं। तेजस एमके2 की प्रोडक्शन टाइमलाइन की बात करें तो यह इस प्रकार है। अक्टूबर-नवंबर 2025 के बीच प्रोटोटाइप असेंबली लाइन से बाहर आएगा। जिससे इंजन ग्राउंड रन और सिस्टम जांच शुरू होगी। दिसंबर 2025-फरवरी 2026 के दाैरान निम्न उच्च गति टैक्सी परीक्षण विमान के सिस्टम को मान्य करेंगे। पहली उड़ान बुनियादी उड़ान विशेषताओं का परीक्षण करेगी। इसके बाद फरवरी-मार्च 2026 से यह फाइटर प्लेन उड़ान भरने लगेगा। 2028-2029 से इसका उत्पादन शुरू हो जाएगा। शुरुआती दाैर में इसमें 18 इकाइयाें का निर्माण होगा। कामत ने आगे कहा कि हम एक एयरो इंजन प्रोग्राम शुरू करना चाहते हैं। हम विकास के जोखिमों को कम करने के लिए एक विदेशी ओईएम के साथ सहयोग करना चाहते हैं। एयरो इंजन तकनीक एक बहुत ही जटिल तकनीक है, हालांकि हमने कावेरी से बहुत कुछ सीखा है। कावेरी एक फोर्थ जनरेशन का इंजन था। यह अधिकतम 2223 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ेगा। इसकी रेंज करीब 2500 किलोमीटर होगा। अधिकतम 56,758 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर पाएगा। इस फाइटर जेट में 30 मिलिमीटर की एक जीएसएच-30-1 गन लगी होगी. यह गन एक मिनट में 1500-1800 गोलियां दाग सकती है. जिसकी रेंज 200 से 1800 मीटर होगी। इस गन के अलावा इस फाइटर जेट पर 13 हार्डप्वाइंट्स होंगे। यानी 13 एक जैसे या अलग-अलग तरह के हथियार लगा सकते हैं। इसमें पांच तरह के हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। जैसे- एमआईसीए, श्रम्र मीटरो, अस्ट्रा आऔर एनजी-सीसीएम हैं। इनकी तैनाती लगभग तय मानी जा रही है। इनके अलावा हवा से सतह पर मार करने वाली चार मिसाइलें लगाई जाएंगी। जिनमें ब्रम्होस-एनजी एसीएमर्म शैडो और क्रिस्टल मेज शामिल हैं. यही नहीं इनके अलावा इसमें एंटी-रेडिएशन मिसाइल रुद्रम 1/2/3 लगाने की भी योजना है।साथ ही इसमें चार प्रेसिशन गाइडेड बम एक लेजर गाइडेड बम, क्लस्टर म्यूनिशन, लॉयटरिंग म्यूनिशन और अनगाइडेड बम लगाए जाएंगे।
Rajneesh kumar tiwari