जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। 2025 के आगाज के साथ बिहार के राजनीतिक परिदश्य में बदलाव की आहट साफ सुनाई पड़ रही है। राजनीतिक जानकार इसके कई कारण मान रहे हैं। नीतीश कुमार के भाजपा से नाराज होने का अनुमान इसलिए लगाया जा रहा है कि वे मीडिया से मुखातिब नहीं हो रहे। जब-जब वे चुप होते हैं, कोई सियासी खेल हो जाता है। इसका दूसरा पहलू यह है कि वे दिल्ली तो गए लेकिन भाजपा नेताओं से मिलना मुनासिब नहीं समझा। बिहार के सीएम नीतीश कुमार दिल्ली में अपना रूटीन हेल्थ चेकअप कराकर पटना वापस लौट आए। सीएम नीतीश कुमार का तय कार्यक्रम से एक दिन पहले पटना लौटने से सियासत में कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं। बता दें कि नीतीश कुमार हमेशा ही चौंकाने वाले फैसले के लिए जाने जाते हैं। चाहे एनडीए में आने की हो या महागठबंधन में नाता तोड़ने की। हर बार नीतीश कुमार ने चौंकाने वाले फैसले लिए। बता दें कि बीपीएससी अभ्यर्थियों का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। विपक्ष उन पर पूरी तरह हमलावर है। ऐसे में माना जा रहा है कि वे कुछ बड़ा ऐलान कर सकते हैं। नए साल में मकर संक्रांति के बाद बिहार में सियासी बदलाव की पुरानी रवायत रही है। साल 2024 के जनवरी में ही नीतीश कुमार ने महागठबंधन का साथ छोड़ दिया था। एनडीए में शामिल होकर उन्होंने एक बार फिर सीएम पद की शपथ ली थी। इस बार भी उनके भाजपा से नाराज होने की सूचनाएं मीडिया रिपोर्ट्स से मिल रही हैं। बिहार में अभी सियासी कसमसाहट जिस तरह दिख रही है, उसमें कई तरह के उलट-फेर की संभावनाएं जताई जा रही हैं। इंडिया ब्लॉक अब भी इस उम्मीद में है कि नीतीश कुमार अपने ब्रेन चाइल्ड गठबंधन में वापसी करेंगे। नीतीश कुमार के भाजपा से नाराज होने का अनुमान इसलिए लगाया जा रहा है कि वे मीडिया से मुखातिब नहीं हो रहे हैं। वे जब-जब वे चुप होते हैं, बिहार में कोई सियासी खेल हो जाता है। अनुमान का दूसरा कारण यह बताया जा रहा है कि नीतीश कुमार दिल्ली गए तो उन्होंने दिवंगत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के परिजनों से मुलाकात की। वहीं भाजपा नेताओं से मिलना उन्होंने मुनासिब नहीं समझा। जबकि पहले उनका भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने का कार्यक्रम था। ऐसा तब हुआ, जब नीतीश कुमार के सहयोग से ही केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार चल रही है। उन्होंने हफ्ते-दस दिन पहले अमित शाह द्वारा बुलाई बैठक में शिरकत करने से भी परहेज किया। जबकि एनडीए सरकार में नीतीश कुमार की तरह ही भूमिका निभाने वाले आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू शामिल हुए। नाराजगी के अनुमान का तीसरा कारण दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रदेश इकाई द्वारा जेडीयू को सीटें देने से इनकार है। जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने प्रेस कान्फ्रेंस कर दिल्ली में चुनाव लड़ने की बात कही थी। आरजेडी नेताओं की चौकस नजर नीतीश कुमार पर है। उन्हें बिल्ली के भाग्य से छींका टूटने का इंतजार है। बीच-बीच में वे संकेत भी देते रहे हैं कि जल्दी ही नीतीश आरजेडी के साथ आ जाएंगे। बता दें कि आरजेडी ने पहले भी नीतीश को अपदस्थ करने की कोशिश की थी पर कामयाबी नहीं मिली। नीतीश कुमार मंच से कई बार कह चुके हैं वे एनडीए का साथ छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे।
Rajneesh kumar tiwari