जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप ने अंतरिक्ष में ऐसी खोज की है कि दुनियाभर के वैज्ञानिक हैरान हैं। अंतरिक्ष में तीन प्राचीन, विशालकाय और रहस्यमयी आकाशगंगाएं खोजी हैं। ये हमारे सूरज से 10 हजार करोड़ गुना ज्यादा वजनी हैं। नई खोज से ब्रह्मांड की थ्योरी ही बदल गई है। अब वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष में नए सिरे से खोज करनी होगी। ब्रह्मांड अनंत और असीमित है। यह बात एक बार फिर साबित हो गई है। नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलिस्कोप से खगोलशास्त्रियों ने बड़ी सफलता हासिल की है। उन्होंने तीन प्राचीन और रहस्यमयी आकाशगंगाएं खोजी हैं। ये तीनों बिग बैंग के कुछ करोड़ साल बाद ही बन गई थीं। तब से लेकर आज तक ये लाल रंग की चमक बिखेर रही हैं। ये तीनों आकाशगंगाएं हमारी आकाशगंगा यानी मिल्की वे जितनी ही बड़ी हैं। इनकी खोज से ब्रह्मांड की उत्पत्ति के नए राज खुलने के आसार हैं। वैज्ञानिक इन्हें रेड मॉन्स्टर गैलेक्सी कह रहे हैं। ये शुरूआती ब्रह्मांड के समय से अब तक मौजूद हैं। हर एक गैलेक्सी का वजन हमारे सूरज के वजन से करीब 10 हजार करोड़ गुना ज्यादा है। इन तीनों लाल आकाशगंगाओं की उम्र करीब 1280 करोड़ साल है। ये बिग बैंग की घटना के करीब 100 करोड़ साल बाद पैदा हुई थीं। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन लाल आकाशगंगाओं के अंदर मौजूद तारे तेजी से आपस में मिले थे। अब इन आकाशगंगाओं की खोज की वजह से वैज्ञानिकों को नए तरीके से अंतरिक्ष का अध्ययन करना होगा। इन तीनों आकाशगंगाओं ने तारों और गैलेक्सी के निर्माण के प्रोसेस को रहस्यमयी बना दिया है। इसके बारे में ही 13 नवंबर को ही नेचर जर्नल में रिपोर्ट छपी है। इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी आॅफ बाथ में एस्ट्रोनॉमी के प्रोफेसर स्टिन वुइट्स ने इसकी जानकारी दी। आकाशगंगाओं की स्टडी करने वाले कहा कि ये तीनों विशालकाय हैं। साथ ही रहस्यमयी हैं। ये अंतरिक्ष के बड़े शैतानों से कम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस नई थ्योरी से ऐसा लगता है कि हमें फिर से अंतरिक्ष, तारों और आकाशगंगाओं के निर्माण की स्टडी करनी होगी। स्टिन ने बताया कि आमतौर पर मान्यता है कि आकाशगंगा डार्क मैटर के विशालकाय गड्डे में बनती है। इस गड्डे में मौजूद ताकतवर ग्रैविटी किसी भी चीज जैसे गैस, छोटे पत्थर आदि को अपनी ओर खींचकर उनसे तारे बनाती है। इसके बाद तारों के समूह बनते हैं। इन समूहों के ग्रह और उपग्रह बनते हैं। बता दें कि किसी आकाशगंगा के निर्माण के समय उसके अंदर मौजूद 20 फीसदी गैस से ही तारों का निर्माण होता है। वहीं खोजी गई इन तीनों आकाशगंगाओं के 80 फीसदी गैस से नए चमकदार तारे बने हैं। जो वैज्ञानिकों को हैरान कर रहा है। जो यह बताता है कि प्राचीन अंतरिक्ष में मौजूद ये आकाशगंगाएं बेतहाशा गति से तारों का निर्माण करते थे। तीनों लाल आकाशगंगाओं को जेम्स वेब खगोलीय दूरदर्शी के नीयर इंफ्रारेड कैमरा से कैप्चर किया गया है। यह यंत्र अंतरिक्ष में काफी ज्यादा गहराई में देख सकता है। यह तारों और आकाशगंगाओं की खोज कर सकता है। इस टेलिस्कोप के लांच होने के बाद दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने फिर से अंतरिक्ष के निर्माण का पहला चैप्टर पढ़ना शुरू किया है।
Rajneesh kumar tiwari