जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। अंतरिक्ष में 160000 साल बाद अनोखी खगोलीग घटना घटित होने जा रही है। सूर्य के पास से एक दुर्लभ धूमकेतु गुजरेगा। जिसे धरती पर रहने वाले लोग भी देख सकेंगे। नासा ने इस धूमकेतु के बारे में जानकारी देते हुए बताया है कि यह इतना चमकीला होगा कि नंगी आंखों से देखा जा सकेगा। खगोलविदों और अंतरिक्ष में दिलचस्पी रखने वालों के लिए एक ऐसी घटना घटने जा रही है जो 160,000 वर्षों में पहली बार होने जा रही है। आने वाले दिनों में दुनिया भर के आसमान में एक चमकीला धूमकेतु दिखाई दे सकता है। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने इस बारे में जानकारी दी है। नासा ने संभावना जताई है कि धूमकेतु सी-2024 जी-3 एटलस इतना चमकीला होगा कि उसे नंगी आंखों से देखा जा सकेगा। सोमवार को धूमकेतु सूर्य के सबसे करीब स्थित बिंदु पेरिहेलियन पर था। इस बिंदु से निर्धारण होता है तो वह कितना चमकीला दिखाई देगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक यो दिनों बाद रात से दिखाई दे सकता है। हालांकि, यह किस जगह पर सटीक दिखाई देगा, अभी तक इस बारे में स्पष्ट पता नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसे दक्षिणी गोलार्द्ध में सबसे अच्छी तरह से देखा जा सकता है। इस बीच नासा के अंतरिक्ष यात्राी डॉन पेटिट ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से ली गई धूमकेतु की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा की है। उन्होंने लिखा कि किसी धूमकेतु को कक्षा से देखना पूरी तरह से आश्चर्यजनक है। एटलस सी-2024 जी-3 हमसे हाथ मिलाने आया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह शुक्र ग्रह की तरह चमकीला हो सकता है। धूमकेतु को पिछले साल नासा के एस्टेरॉयड अलर्ट सिस्टम से देखा गया था। एक्सपर्ट का कहना है कि वर्तमान गणना से संकेत मिलता है कि यह सूर्य से लगभग 1.33 करोड़ किलोमीटर की दूरी से होकर गुजरेगा। सभी धूमकेतुओं की तरह इसकी चमक अप्रत्याशित हो सकती है। जो लोग दक्षिणी गोलार्द्ध में रहते हैं, उन्होंने सूर्योदय से पहले पूर्वी क्षितिज को ओर देखना चाहिए। रिपोर्ट में किंग्स कॉलेज में ब्रह्मांड विज्ञान के शोधकर्ता डॉ. श्याम बालाजी ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इसके काफी चमकीला होने की उम्मीद है। धूमकेतु की चमक के बारे में भविष्यवाणियां बेहद अनिश्चित है। कई धूमकेतुओं की चमक शुरू में की गई भविष्यवाणी से कम दिखाई देती है। उत्तरी गोलार्द्ध में रहने वालों के लिए इसे देखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। बता दें कि भारत भी उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। इस बीच खगोलविद धूमकेतु के रास्ते पर नजर रख रहे हैं।
Rajneesh kumar tiwari