जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। अंतरिक्ष डॉकिंग के बाद अब इसरो ने नया प्लान तैयार किया है। इसरो चीफ ने 99वें प्रक्षेपण का जश्न मनाते हुए कहा कि स्पैडेक्स मिशन अन्य मिशनों का आधार बनेगा। इसकी कामयाबी के बाद चन्द्रयान मिशन बेहद आसान हो जाएगा। अगले साल 100वें प्रक्षेपण की तैयारी चल रही है। जनवरी 2025 में एनवीएस-02 उपग्रह को लांच किया जाएगा। इसरो ने पिछले कई सालों में बड़े-बड़े कीर्तिमान बनाए हैं। यही वजह है इसरो अब अमेरिका के नासा जैसे स्पेस आॅगेर्नाइजेशन को कड़ी टक्कर दे रहा है। इसरो ने सोमवार रात 10 बजे अपने स्पैडेक्स मिशन को लांच कर इतिहास रच दिया। मिशन को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया। इसके लिए इसरो के पीएसएलवी-सी60 रॉकेट का इस्तेमाल किया गया है। इस मिशन के जरिए महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी अंतरिक्ष डॉकिंग के तहत दो अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक एक दूसरे से अलग हो गए। उन्हें वांछित कक्षा में स्थापित कर दिया गया। अब इन दोनों को एक दूसरे से जोड़ा जाएगा। अंतरिक्ष एजेंसी ने इसकी जानकारी दी। यहां सबसे अहम है कि स्पैडेक्स मिशन में इस्तेमाल प्रौद्योगिकी अन्य देशों की तुलना में कम लागत की है। बता दें कि नासा भी यान भेजने और वापस लाने में इसी तकनीक का इस्तेमाल करती है। स्पैडेक्स मिशन की सफलता से भारत अमेरिका, रूस और चीन के बाद ऐसी प्रौद्योगिकी वाला चौथा देश बन गया है। यह तकनीक मानव मिशन शुरू करने, चंद्रमा के नमूने धरती पर लाने, अंतरिक्ष स्टेशन बनाने जैसे अहम लक्ष्यों की दिशा में बेहद अहम है। अंतरिक्ष डॉकिंग के मौके पर इसरो प्रमुख ने बताया कि अंतिम डॉकिंग प्रक्रिया यानी यान को एक दूसरे से जोड़ने की प्रक्रिया 7 जनवरी के आसपास पूरी होने की उम्मीद है। उन्होंने आगे कहा कि यह चंद्रयान-4 के लिए काफी अहम साबित होगा। विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस मिशन की सफलता पर खुशी व्यक्त की। उन्होंने बताया कि भारत अब अंतरिक्ष डॉकिंग करने वाले चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है। यह उपलब्धि भारत के आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। स्पैडेक्स मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में दो उपग्रहों को डॉक करना है। यह भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीक साबित होगा। सोमनाथ ने इसरो के 99वें प्रक्षेपण का जश्न मनाते हुए कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। अगले साल 100वें प्रक्षेपण की तैयारी चल रही है। इसरो जनवरी 2025 में एनवीएस-02 उपग्रह को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल पर लांच किया जाएगा। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि यह मिशन अगले साल के लिए नियोजित कई मिशनों में से एक है। इसरो प्रमुख ने चंद्रयान-4 मिशन के बारे में भी जानकारी दी। जिसमें विभिन्न मॉड्यूल शामिल हैं। जिन्हें अलग-अलग समय पर लांच किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन मॉड्यूल को कक्षा में पहुंचने और फिर पृथ्वी की कक्षा और चंद्रमा की कक्षा दोनों में डॉक करने की आवश्यकता है। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा पर जाना, वहां उतरना और पृथ्वी पर वापस आना और यात्रा को सफलतापूर्वक पूरा करना है। बता दें कि चंद्रयान-4 मिशन में डॉकिंग-अनडॉकिंग तकनीक का इस्तेमाल होगा। यानी चंद्रयान-4 मिशन की कामयाबी स्पेडेक्स की सफलता पर निर्भर होगी। नासा की तरह अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने में इसी मिशन की तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा।
Rajneesh kumar tiwari