वाशिंगटन। अमेरिका ने भी रूस से भारत को मिले एस-400 की ताकत का लोहा मान लिया। वॉशिंगटन पोस्ट में लिखा गया है यह मिसाइल सिस्टम सबसे तेज अमेरिकी लड़ाकू विमान एफ-35 और चीनी विमान जे-20 को ट्रैक कर उसे पलभर में धुएं में उड़ा सकता है। प्रमुख अमेरिकी मीडिया आउटलेट वाशिंगटन पोस्ट ने एस-400 को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसमें लिखा कि अमेरिकी रक्षा विशेषज्ञों ने भी भारत को रूस से मिले एस-400 डिफेंस सिस्टम की दुर्जेय क्षमताओं को स्वीकार किया है। वाशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि इस डिफेंस सिस्टम की नजरों से दुनिया का सबसे तेज ओर खतरनाक लड़ाकू विमान भी नहीं बच सकता है। एस-400 में लगी मिसाइलें किसी भी लाइटनिंग और अन्य खतरनाक लड़ाकू विमानों को ढूढ़कर तबाह कर देंगी। बता दें कि अभी हाल में अमेरिका समेत यूरोप देशों की रिपोर्ट में एस-400 की काबिलियत पर सवाल उठाया गया था। इन देशों ने कहा था कि कई ऐसे तेज लड़ाकू विमान और मिसाइलें हैं जो रूसी डिफेंस सिस्टम की नजरों से बच जाते हैं यानी सिस्टम इसे पकड़ नहीं पाता। बता दें कि रूसी एस-400 को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ एयर डिफेंस सिस्टम माना जाता है। वहीं दूसरी ओर एफ-35 और जे-20 को दुनिया की पांचवीं पीढ़ी का सबसे सफल स्टील्थ विमान माना -जाता है।
भारत ने खरीदी रूस से एस-400 की पांच स्क्वाड्रन
भारत ने रूस से एस-400 की पांच स्क्वाड्रन खरीदी है। वहीं जल्द ही अगली खेप की डिलीवरी होने वाली है। एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम विभिन्न हवाई खतरों से निपटने के लिए अलग-अलग मिसाइलें लॉन्च करने की क्षमता रखता है। एस 400 अपनी तैनाती से किलोमीटर दूरी तक किसी भी विमान, हेलीकाप्टर समेत अन्य हथियारों को ट्रैस कर उसे ध्वस्त कर देता है।
इसके एक रेजीमेंट में आठ लॉन्चर होते हैं। यानी आठ लॉन्चिंग ट्रक। हर ट्रक में चार लॉन्चर लगे होते हैं। यानी उनमें से चार मिसाइलें निकलती हैं। कुल मिलाकर एक रेजीमेंट में 32 मिसाइलें होती हैं। इसका मतलब है कि एक रेजीमेंट किसी भी समय 32 मिसाइलें दाग सकता है। यह आसमान से घात लगाकर आते हमलावर को पलभर में राख में बदल देता है। इसकी तैनाती के बाद दुश्मन पहले यह सोचता है कि हमला करना है या नहीं। इसके सामने कोई हथियार नहीं टिकता। यह दुनिया की सबसे सटीक एयर डिफेंस प्रणाली है। बता दें कि चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए भारत को ऐसे मिसाइल सिस्टम की जरुरत थी, जो अब पूरी हो चुकी है।
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अमेरिका ने माना लोहा
बता दें कि एस-400 और एफ-35 के बीच टकराव की संभावना बेहद कम है, लेकिन अमेरिका की चिंताएं वास्तविक हैं। यही कारण है कि अमेरिका कभी भी एस-400 मिसाइल सिस्टम की तैनाती वाली जगह के आसपास अपने एफ-35 विमान को तैनात नहीं करता है। जब नाटो सदस्य तुर्की ने एस-400 का अधिग्रहण किया तो अमेरिका ने उसे एफ-35 प्रोग्राम से ही बाहर निकाल दिया और उसे अपने स्टील्थ विमान को बेचने पर भी पाबंदी लगा दी। अमेरिका को डर है कि एस-400 के रडार एफ-35 विमान की संवेदनशील टेक्नोलॉजी और परिचालन क्षमताओं को चोरी कर सकता है। अमेरिकी कार्यवाहक सहायक रक्षा सचिव कैथरीन व्हीलबर्गर ने खुले तौर पर स्वीकार किया कि एस-400 को विशेष रूप से एफ-35 जैसे विमानों को लक्षित करने और बेअसर करने के लिए डिजाइन किया गया था। अमेरिकी यूरोपीय कमान का नेतृत्व करने वाले जनरल टॉड वॉल्टर्स ने भी इस रिपोर्ट पर मुहर लगाई।
Rajneesh kumar tiwari