जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन जंग से सबक लेकर भारत तैयार अब महाविनाशक हथियार तैयार कर रहा है। चीन-पाकिस्तान दोनों ही डीआरडीओ द्वारा बनाई जा रही मिसाइल की रेंज में होंगे। वहीं सीमा पर भारत अन्य युद्धक हथियार भी तैनात कर रहा है। भारतीय सेना किसी भी विकट स्थिति का मुकाबला करने के लिए लगातार सीमाओं पर अपनी युद्ध क्षमता बढ़ा रही है। इसी कड़ी में चीनी सीमा पर कई आधुनिक हथियार सेना ने तैनात किए हैं। इसके अलावा अन्य उपकरणों की लगातार खरीदी की जा रही है। इधर डीआरडीओ अब हाइपरसोनिक मिसाइलें बनाने में जुटा हुआ है। बता दें कि हाइपरसोनिक मिसाइलें की जरुरत इसलिए पड़ी क्योंकि दुनियाभर में हाल के वर्षों में युद्ध के तरीके बदले हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर कोई यह पहले नहीं कह सकता था कि यह लड़ाई इतनी लंबी चलेगी। इस युद्ध में लंबी दूरी के रॉकेट ने अपनी उपयोगिता साबित की है। भारतीय सेना भी आने वाले समय को ध्यान में रखते हुए अपनी तैयारी कर रही है। लंबी दूरी तक मार करने वाले रॉकेट दुश्मन के ठिकानों को 300 किलोमीटर दूर से ही निशाना बना सकेंगे। इसके लिए सेना अपने स्वदेशी रॉकेट सिस्टम पिनाका को और अधिक ताकतवर बना रही है। डीजी आर्टिलरी लेफ्टिनेंट जनरल अदोष कुमार ने बताया कि पिनाका सिस्टम भारत के आत्मनिर्भरता की सफलता की कहानी है। उन्होंने कहा कि हम पिनाका रॉकेट की रेंज ज्यादा चाहते हैं और डीआरडीओ इस पर काम कर रहा है। भारत ने उत्तरी सीमा पर अपनी ताकत बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान देना शुरू कर दिया है। सेना की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए के9 वज्र, धनुष और शारंग समेत बड़ी संख्या में 155 मिमी गन सिस्टम तैनात किए गए हैं। सेना ने पहले ही 100 के9 वज्र तोप तैनात कर दिए हैं। वहीं, 100 और तोप खरीदने की प्रक्रिया चल रही है। अदोष कुमार ने कहा कि के9 वज्र तोपों को मुख्य रूप से रेगिस्तानी इलाके में तैनात करने के लिए खरीदा गया था, लेकिन पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बाद सेना ने इस ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बड़ी संख्या में इन तोपों को तैनात किया है। उन्होंने आगे कहा कि हम अन्य 155 मिमी गन सिस्टम को भी शामिल करने की प्रक्रिया में है। इनमें एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम, माउंटेड गन सिस्टम और टोड गन सिस्टम शामिल हैं। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन डीआरडीओ सैन्य बलों के लिए हाइपरसोनिक मिसाइलें विकसित करने की प्रक्रिया में है। हाइपरसोनिक मिसाइलें पांच मैक या ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक की गति से उड़ान भर सकती हैं। सेना अब लंबी दूरी की क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलें शामिल करने की योजना बना रही है। इनमें 2,000 किलोमीटर रेंज वाली निर्भय और 400 किलोमीटर रेंज वाली प्रलय मिसाइल शामिल है। प्रलय और निर्भय मिसाइलें प्राप्त करने के लिए सेना को रक्षा अधिग्रहण परिषद से मंजूरी मिल गई है। बता दें कि आज के समय में किसी भी देश की सुरक्षा के लिए मजबूत सेना का होना बहुत जरूरी है। लंबी दूरी के रॉकेट और अन्य आधुनिक हथियार भारत की सुरक्षा को मजबूत बनाने में मदद करेंगे।
Rajneesh kumar tiwari