जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। इंडियन नेवी के जहाज अब ज्यादा ताकतवर और सुरिक्षत होने जा रहे हैं। अगर किसी वारशिप पर एक साथ दुश्मन देश के सैंकड़ों ड्रोन हमला कर दे तो भी उसे मार गिराया जाएगा। इन ड्रोन झुंडों यानी स्वार्म से मुकाबला करने के लिए नेवी को आधुनिकतम एचईपीएफ फायरिंग शेल मिलने जा रहा है। एचईपीएफ फायरिंग शेल को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ की ओर से विकसित किया गया है। अब रक्षा मंत्रालय के एकीकृत मुख्यालय से नौसेना ने एचईपीएफ शेल को नेवी में शामिल करने की मंजूरी हासिल कर ली है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डाक्टर समीर वी कामत ने उत्पादन दस्तावेज सौंपे जाने के लिए बधाई दी है। इस समारोह के दौरान डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिक और नौसेना मुख्यालय के अधिकारी मौजूद थे। डाक्टर समीर वी कामत का कहना है कि इसके आने से नौसेना अब और ताकतवर हो जाएगी। उसे दुश्मन के ड्रोन झुंडों यानी स्वार्म के हमलों को बेअसर करने की बेशुमार ताकत मिल जाएगी। रक्षा मंत्रालय के अनुसार एके-630 नेवल गन से विशेष गोले दागे जा सकेंगे। इस आधुनिक शेल की विशेषताएं इन-सर्विस एम्युनिशन के समान हैं। एचईपीएफ शेल हार्डवेयर का निर्माण तीन भारतीय फर्मों की ओर से किया गया है। यह निर्माण आयुध अनुसंधान एवं विकास स्थापना (एआरडीई) के निदेर्शों और नौसेना आयुध निरीक्षणालय, जबलपुर के सहयोग से गन फायरिंग प्रूफ परीक्षणों के अधीन किया गया है। परीक्षण के परिणामों में एके-630 गन को अनुकूल पाया गया। जिससे इसे नौसेना की गनों में लैस करने का मार्ग प्रशस्त हुआ। डीआरडीओ के अनुसार प्रत्येक एचईपीएफ शेल में 1 किलोग्राम पेलोड क्षमता और पांच किलोमीटर की प्रभावी रेंज है। विस्फोट होने पर यह गोला 850 मीटर प्रति सेकंड की गति से लगभग 600 धातु के छर्रे फैलाता है, जो अपने विशाल दायरे में कई ड्रोनों को बेअसर करने में सक्षम है। मौजूदा समय में इसलिए यह ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि हाल ही में अदन की खाड़ी और हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय जहाजों को निशाना बनाकर ड्रोन हमले बढ़े हैं। ऐसे में इन ड्रोन हमलों का मुकाबला करने के लिए बेहतर हथियार की जरुरत थी। जो एचईपीएफ शेल ने पूरी कर दी है। बता दें कि एके-630 गन एंटी मिसाइल गन सिस्टम है। इसे क्लोज-इन वेपन सिस्टम भी कहा जाता है। यह एक खास तरह की रोटरी यानी घूमने वाली तोप होती है। यह युद्धपोत के कंप्यूटर के साथ जुड़ी होती है, जो दुश्मन टारगेट की तरफ घूम-घूम कर गोलियां और गोले बरसाती है। यह हमला इतना ताबड़तोड़ होता है कि इसकी गोलियों से बचना मुश्किल है। इस तोप का वजन करीब 1800 किलोग्राम होता है। इसकी बैरल यानी नली 57 से 64 इंच होती है। इसकी रेंज चार से पांच किलोमीटर होती है। टारगेट जैसे ही इसकी रेंज में आता है ये खुद ही फायरिंग शुरू कर देता है। इसमें बेल्ट लगाई जाती है। ये बेल्ट 1000 राउंड से लेकर 4000 राउंड तक होती है।
Rajneesh kumar tiwari