जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। आईएनएस अरिघात के बाद भारतीय नौसेना को एक और दिव्यास्त्र मिलने वाला है। इससे न केवल नौसेना की ताकत बढ़ जाएगी बल्कि सबमरीन आईएनएस वाग्शीर से दुश्मन देश थर्रा उठेंगे। परमाणु शक्ति से चलने वाला यह युद्धपोत बैलिस्टिक मिसाइलों और अन्य हथियारों से लैस है। भारतीय नौसेना दिसंबर में अपनी छठी और अंतिम कलवरी-श्रेणी की पनडुब्बी वाग्शीर को कमीशन करने की तैयारी कर रही है। यह सबमरीन मुंबई के मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड में तैयार की गई है। अभी ये अपने फाइनल टेस्टिंग से गुजर रही है। समुद्री सीमा पर अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिए भारत अभी फ्रांस के साथ तीन और ऐसी पनडुब्बियों के निर्माण पर चर्चा कर रहा है। बता दें कि भारत लगातार हिंद महासागर में अपनी स्थिति मजबूत करने की कवायद में जुटा है। इसी के मद्देनजर लगातार सबमरीन को कमीशन करने की तैयारी तेजी से आगे बढ़ रही है। कलवरी-श्रेणी की पनडुब्बी वाग्शीर के कमीशन होते ही नौसेना की ताकत में कई गुना की बढ़ जाएगी। इस सबमरीन का निर्माण 23562 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट 75 का हिस्सा है। कलवरी-श्रेणी स्कोर्पीन डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बियों का निर्माण यार्ड में किया गया है। इसमें फ्रांसीसी फर्म नेवल ग्रुप से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर किया गया है। ये पनडुब्बियां कई तरह के मिशन को पूरा कर सकती हैं। जैसे दुश्मन के जहाजों और पनडुब्बियों को नष्ट करना, लंबी दूरी तक हमले करना, खास अभियान चलाना और खुफिया जानकारी जुटाना शामिल है। बता दें कि हिंद महासागर में चीन की बढ़ती ताकत से भारत के सामने कई चुनौतियां हैं। इनसे निपटने के लिए भारत को अपनी शक्ति में विस्तार करना बेहद जरूरी है। बता दें कि 29 अगस्त को भारत ने विशाखापत्तनम में अपनी दूसरी स्वदेशी परमाणु शक्ति से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी, आईएनएस अरिघात को शामिल किया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उस समय कहा था कि यह भारत के परमाणु त्रिकोण को और मजबूत करेगा। यह परमाणु क्षेत्र में रणनीतिक संतुलन स्थापित करने में मदद करेगा। चीन से निपटने के लिए भारत बड़े प्लान पर काम कर रहा है। इसमें अरिघात या से लेकर अन्य अरिहंत-श्रेणी की पनडुब्बी शामिल है। बता दें कि आईएनएस अरिहंत (एस-2) से अधिक एडवांस है। इसके अलावा देश की तीसरी परमाणु शक्ति से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी अरिदमन को शामिल किया जाएगा। इसके बाद या एस-4 के भी अगले साल शामिल होने की उम्मीद है। उसके बाद चौथी एसएसबीएन, जिसका नाम एस-4 होगा उसे भी नौसेना में शामिल किया जाएगा। साथ ही अरिहंत-श्रेणी की पनडुब्बियों के भी नौसेना में शामिल होने की उम्मीद है। नौसेना हिंद-प्रशांत क्षेत्र में देश के विरोधियों को रोकने के लिए दो परमाणु शक्ति से चलने वाली पारंपरिक रूप से सशस्त्र पनडुब्बियां बनाने पर भी विचार कर रही है। इस महीने की शुरूआत में, नौसेना ने विशाखापत्तनम में आईएनएस सतवाहन में विनेत्र नाम की एक पनडुब्बी बचाव प्रशिक्षण सुविधा शुरू की थी। यह सुविधा कलवरी-श्रेणी की पनडुब्बी के संकट में होने पर क्रू मेंबर्स को तेजी से रिएक्ट के लिए तैयार की गई थी।
Rajneesh kumar tiwari