जन प्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। हमारे वेद ज्ञान के भंडार हैं। इनमें महज देवताओं की स्तुतियां ही नहीं बल्कि ज्ञान और विज्ञान का गूढ़ रहस्य छिपा हुआ है। अब टाटा इंस्टीट्यूट के खगोलविदों ने ऋग्वेद से दुनिया के सबसे पुराने सूर्य ग्रहण की खोज कर ली है। यह ग्रहण 6000 साल पहले लगा था। वहीं इस साल 2 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण की घटना को देखा जा सकेगा। दुनिया के सबसे पुराने पूर्ण सूर्य ग्रहण का पता चल गया है। इस ग्रहण का सबसे प्रामाणिक दस्तावेज ऋग्वेद को माना गया है। खगोशास्त्रियों ने ऋग्वेद में बताए गए सबसे प्राचीन पूर्ण सूर्य ग्रहण को ही पहला ग्रहण माना है। ये करीब 6000 साल पहले की घटना मानी जा रही है। बता दें कि ऋग्वेद में कई प्रकृति से संबंधित कई घटनाओं का जिक्र है। जिसमें सूर्य के उगने से लेकर किरणों के प्रभाव के बारे में बताया गया है। ये कथन 1500 ईसा पूर्व के आसपास के माने जाते रहे हैं। इसी के साथ-साथ विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक विचारधाराओं से संबंधित कहानियों का भी संग्रह है। ऋग्वेद में लिखी घटनाएं अधिकांश उस समय की है जब यह ग्रंथ लिखा जा रहा था। उनमें से कुछ और भी पुरानी घटनाएं भी उल्लेखित हैं। ये खोज जनरल आॅफ एस्ट्रोनामिकल हिस्ट्री एंड हेरिटेज में टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च के एस्ट्रोनामर मयंक वाहिया ने किया है। इसके अलावा जापान की नेशनल एस्ट्रोनामिकल आब्जर्वेटरी के मित्सुरू सोमा ने भी बड़ा योगदान दिया है। ऋग्वेद में वसंत विषुव के दौरान विभिन्न अंशों में उगते हुए सूरज की पोजीशन के बारे में बताया गया है। इनमें से एक संदर्भ में यह बताया गया है कि यह सूर्य ग्रहण की घटना ओरियन में हुई थी जबकि दूसरे संदर्भ में यह कहा गया कि यह एलिड्स में हुई थी। मयंक वाहिया के अनुसार पृथ्वी अपने आर्बिट में घूमने के साथ-साथ इन खगोलीय घटनाओं की सापेक्ष स्थिति में परिवर्तित हो जाती है। वर्तमान में वसंत विषुव मीन राशि में स्थित है, लेकिन लगभग 4500 ईसा पूर्व यह ओरियन और एलिड्स में था। इससे एस्ट्रोनामर के लिए उस समय सूर्य ग्रहण की अवधि का पता लगाना आसान हुआ। दूसरी ओर इस साल का दूसरा सूर्यग्रहण पितृपक्ष के दौरान लगने जा रहा है। श्राद्ध पक्ष इस साल 17 सितंबर को शुरू हो रहा है और इसकी समाप्ति 2 अक्तूबर को होगी। 2 अक्तूबर यानि सर्व पितृ अमावस्या पर साल का दूसरा सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है। इस दिन सूर्य ग्रहण रात के 9 बजकर 13 मिनट से शुरू होगा, जो देर रात 3 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा। इसकी कुल अवधि करीब 6 घंटे 4 मिनट की होगी। सूर्य ग्रहण भारत में तो नहीं नजर आएगा लेकिन अन्य देशों में दिखाई देगा। दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भागों और आर्कटिक, अर्जेंटीना, ब्राजील, पेरू, फिजी में इस खगोलिय घटना का दीदार किया जा सकेगा।
Rajneesh kumar tiwari