September 3, 2024
जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। पीएम मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने कई अहम प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके तहत तीनों सेनाओं में बड़े बदलाव होंगे। एक ओर जहां 240 फाइटर जेटों को 5वीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान बनाया जाएगा। टी- 72 टैंक्स की जगह नए तोप लाने का फैसला किया है। खतरनाक दुश्मनों से घिरा भारत किसी भी कीमत पर अपनी सुरक्षा से रत्ती भर समझौता करने के मूड में नहीं है। इसी क्रम में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने बड़ा फैसला किया है। इसके तहत देसी तकनीक से युद्धक विमानों को पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेटों जैसा क्षमतावान बनाया जाएगा। इसमें एक दो नहीं बल्कि पूरे 240 फाइटर जेट बनाएं जाएंगे। इन विमानों की आपर्ू्ति भी अगले साल से ही शुरू हो जाएगी। भारत की इस वैज्ञानिक सफतला को देखकर दुश्मन चकरा गए हैं। वहीं पकिस्तानी एफ16 और चीन के जे30 जैसे लड़ाकू विमानों की सामत आ जाएगी। नए प्रस्ताव के अनुसार 26 हजार करोड़ रुपये के खर्च से 240 सुखोई 30 एमकेआई एयरक्राफ्ट इंजन खरीदे जाएंगे। इन इंजनों की आपूर्ति एक साल में शुरू हो जाएगी। अगले आठ सालों के भीतर ये सभी इंजन भारत को मिल जाएंगे। इन इंजनों में 54 फीसदी कल-पुर्जे स्वदेसी होंगे। ये कल पुर्जे हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड यानी एचएएल के कारापुट कारखाने में बनेंगे। बता दें कि सुखोई-30 एमकेआई भारतीय वायु सेना की सबसे ताकतवर एयरक्राफ्ट फ्लीट मानी जाती है। इन इंजनों का इस्तेमाल कर एचएएल अपने लड़ाकू विमानों को अपग्रेड करेगी।अपग्रेड के बाद ये लड़ाकू विमान कई मायनों में पांचवी पीढ़ी जैसे हो जाएंगे। ये वायुसेना के पास मौजूदा फ्रांसीसी राफेल विमानों से भी उन्नत हो जाएंगे। इस तरह नए प्लान से अगले 30 साल के लिए वायु सेना की जरूरतें पूरी हो जाएंगी। इन विमानों में देसी तकनीक को ऐडआन किए जाने के बाद ये बेहद ताकतवर और खतरनाक बन जाएंगे। 63 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट से 84 सुखोई विमान भी अपग्रेड किए जाएंगे। इनकी मारक क्षमता अचूक बनाने के लिए इनमें एआई और डाटा साइंस का इस्तेमाल किया जाएगा। बता दें कि भारतीय वायु सेना लड़ाकू विमानों की कमी जूझ रही है। चीन और पाकिस्तान दो मोर्चों पर चुनौती का सामना कर रही वायु सेना को 42 स्क्वाड्रन्स की जरूरत है। बता दें कि एक स्क्वाड्रन में 16 से 18 लड़ाकू विमान होते हैं। मौजूदा समय में वायु सेना के पास 259 सुखोई विमान हैं। इनको अपग्रेड कर दिए जाने के बाद वायु सेना की एक बड़ी जरूरत पूरी हो जाएगी। इन्ही जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने फ्रांस से सीधे 36 राफेल विमानों की खरीद की थी। रक्षा अधिकारियों की मानें तो भारतीय नौसेना को प्रोजेक्ट 17 ब्रावो के तहत सात नए युद्धपोत सौंपे जाएंगे। इसके लिए सरकार ने 70 हजार करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। ये ऐसे युद्धपोत होंगे, जो नीलगिरि कैटेगरी के युद्धपोतों के बाद भारत में अब तक निर्मित सबसे अडवांस्ड खुफिया युद्धपोत होंगे। इन्हें मझगांव डाक शिपबिल्डर्स, गार्डेन रीच शिफबिल्डर्स, गोवा शिपयार्ड, लार्सेन एंड टुब्रो जैसी कंपनियां बनाएंगी। भारतीय सेना के टी-72 टैंक्स को बदल कर उनकी जगह फ्यूचर रेडी काम्बैट व्हीकल्स यानी एफआरसीवी तैनात किए जाएंगे। ये हथियार 60 फीसदी स्वदेशी होंगे। इन्हें बनाने के लिए दो प्रमुख कंपनियां आगे आई हैं। भारत फोर्ज और लार्सेन एंड टुब्रो कंपनियां इस काम को तीन फेज में करेंगी। हर फेज में 600 एफआरसीवी बनेंगे। इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 50 हजार करोड़ है। टी-72 टैंकों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन इंटीग्रेशन, एक्टिव प्रोटेक्शन सिस्टम, सिचुएशनल अवेयरनेस, मैन्ड और अनमैन्ड टीमिंग की व्यवस्था होगी। पहले फेज में 590 टैंक शामिल की जाएगी। हर फेज में नई टेक्नोलाजी जुड़ती चली जाएगी। इससे टैंक ज्यादा समय तक सुरक्षित रह सकेगा। साथ ही ज्यादा घातक हो सकेगा। बता दें कि एफआरसीवी ऐसे टैंक्स होंगे, जिनपर हवाई हमलों का असर बेहद कम होगा।
Rajneesh kumar tiwari