जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। 46 साल बाद फिर से पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर का प्रतिष्ठित रत्न भंडार खोला गया। इस प्रक्रिया से रत्न भंडार के कई रहस्य सामने आए। वहीं खजाने से बेशकीमती आभूषण मिले। बाहरी रत्न भंडार का सामान लकड़ी के 6 संदूकों में रखकर सील कर दिया गया। ओडिशा के पुरी में स्थित 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के दरवाजे फिर से खोल दिए गए। ऐसा कहा जाता था कि जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार और खजाने की रक्षा करते सांप करते हैं। रत्न भंडार से अजीबोगरीब आवाजें सुनाई देती हैं। अब 46 साल बाद रत्न भंडार का दरवाजा खुला तो ये किंवदंतियां-कहानियां महज अफवाह निकलीं। रत्न भंडार का दरवाजा खुला तो अंदर से एक भी सांप नहीं मिला। जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार गर्भगृह के बगल में बना हुआ है। अंतिम बार रत्न भंडार का दरवाजा 1978 में खोला गया था। ओडिशा सरकार का कहना है कि आॅडिट में कीमती पत्थरों से जड़े 150 किलोग्राम से अधिक सोने के आभूषण, 258 किलोग्राम चांदी के बर्तन और अन्य सामान शामिल थे। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी का कहना है कि सबसे पहले रत्न भंडार के बाहर वाले कमरे को खोला गया। वहां रखे सभी आभूषणों व कीमती सामानों को मंदिर के अंदर अस्थायी स्ट्रांग रूम में शिफ्ट कर दिया गया। इसके बाद स्ट्रांग रूम को सील कर दिया गया। टीम ने आंतरिक कक्ष के तीन ताले तोड़े क्योंकि इन तालों की जो चाबियां दी गई थीं वह काम नहीं कर रही थीं। जिसके बाद ताला तोड़ने का फैसला लिया गया। टीम के सदस्यों ने समय की कमी को देखते हुए आंतरिक कमरे के अंदर रखे लकड़ी के बक्से को नहीं खोला। यहां रखे आभूषणों और जवाहरात को किसी दूसरे दिन मंदिर परिसर के अंदर एक अस्थायी स्ट्रांग रूम में शिफ्ट कर दिया जाएगा। बता दें कि आज से मंदिर प्रशासन बहुदा यात्रा और अन्य अनुष्ठानों में व्यस्त रहने वाला है। बता दें कि भगवान जगन्नाथ की निधि होने के कारण पुरी मंदिर के रत्न भंडार को लेकर भक्तों में भी गहरी आस्था का भाव है। ऐसे में 11 सदस्यीय टीम की उपस्थिति में रत्न भंडार के दरवाजे खोले जाने से पहले विधि-विधानपूर्वक प्रभु जगन्नाथ की पूजा की गई। पूरी प्रक्रिया के सफल होने के लिए उनका आशीर्वाद लिया गया। यह रत्न भंडार भगवान जगन्नाथ को चढ़ाए गए बहुमूल्य सोने और हीरे के आभूषणों का घर है। ओडिशा मैग्जीन यानी राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित पत्रिका के अनुसार, राजा अनंगभीम देव ने भगवान जगन्नाथ के आभूषण तैयार करने के लिए बहुत बड़ी मात्रा में सोना दान किया था। बता दें कि रत्न भंडार के दो कक्ष हैं। भीतर भंडार यानी आंतरिक खजाना और बाहरी भंडार यानी बाहरी खजाना है। ओडिशा मैग्जीन में कहा गया है कि बाहरी खजाने में भगवान जगन्नाथ के सोने से बने मुकुट, सोने के तीन हार हरिदाकंठी माली है। जिनमें से प्रत्येक का वजन 120 तोला है। रिपोर्ट में भगवान जगन्नाथ और बलभद्र के सोना से बने श्रीभुजा और श्रीपयार का भी उल्लेख किया गया है। इसके मुताबिक आंतरिक खजाने में करीब 74 सोने के आभूषण हैं। जिनमें से प्रत्येक का वजन 100 तोला से अधिक है। सोने, हीरे, मूंगा और मोतियों से बनी प्लेटें हैं। इसके अलावा 140 से ज्यादा चांदी के आभूषण भी खजाने में रखे हुए हैं। इतिहासकारों के अनुसार पुरी जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार लूटने के लिए 15 बार आक्रमण हुआ था। पहली बार 1451 में और आखिरी बार 1731 में मोहम्मद तकी खां द्वारा मंदिर पर हमला किया गया था।
Rajneesh kumar tiwari