जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। चीन पर लगाम लगाने के लिए सिर्फक्वॉड के बाद अब भारत को एक और मित्र देश का साथ मिला है। फ्रांस ने 40 साल बाद अपने कैरियर स्ट्राइक ग्रुप को भारत भेजा है। इस पर राफेल फाइटर जेट भी तैनात हैं। यह परमाणु हमला करने में सक्षम है। इससे हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत के साथ मिलकर फ्रांस अपनी पकड़ मजबूत करेगा। यूरोप का सबसे शक्तिशाली युद्धपोत चार्ल्स डी गाले भारत पहुंचा है। यह परमाणु एयरक्राफ्ट कैरियर है। बताया जा रहा है कि करीब 40 साल बाद यह घटनाक्रम देखने को मिला जब फ्रांस ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपने किसी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप को उतारा है। यह फ्रांसीसी बेड़ा गोवा तट के पास भारतीय नौसेना के साथ वरुणा नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा लेगा। इस नौसैनिक अभ्यास का मकसद इलाके में समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना है। माना जा रहा है कि फ्रांस ने चीन को कड़ा संदेश देने के लिए अपने कैरियर स्ट्राइक ग्रुप को इस इलाके में भेजा है। बता दें कि चीन लगातार हिंद प्रशांत क्षेत्र में अपनी दादागिरी दिखा रहा है। चार्ल्स डी गाले एयरक्राफ्ट पर हमेशा राफेल फाइटर जेट तैनात रहते हैं। ये परमाणु हमला करने की ताकत रखते हैं। फ्रांसीसी कैरियर स्ट्राइक ग्रुप फ्रांस की नौसेना के मिशन क्लेमेंस्यू 25 के तहत आया है। इस मिशन का लक्ष्य हिंद प्रशांत क्षेत्र में मित्र देश के हितों की रक्षा करना है। सााथ ही इस इलाके में यूरोपीय अभियानों में योगदान को बढ़ाना है। फ्रांसीसी नौसेना ने कहा कि कैरियर स्ट्राइक ग्रुप क्षेत्रीय भागीदारों और सहयोगियों खासकर भारत के साथ संयुक्त ट्रेनिंग को अंजाम दे रहा है। इस अभ्यास के दौरान दोनों देशों के युद्धपोतों पर एक-दूसरे के सैनिकों के काम करने का मौका मिलेगा। यह अभ्यास सत्र इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दौरान हवा, सतह और सबमरीन से होने वाले खतरे को निपटने का विशेष अभ्यास किया जाएगा। भारत के बाद फ्रांसीसी युद्धपोतों का दल इंडोनेशिया जाएगा। इसके बाद वहां से यह दक्षिण चीन सागर होते हुए जापान भी जाएगा। इस पूरे इलाके में चीनी नौसेना दादागिरी दिखा रही है। चीन पड़ोसी देशों को डरा रहा है। फ्रांस ने कहा कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में 15 लाख फ्रांसीसी नागरिक रहते हैं। बता दें कि फ्रांस हमेशा भारत को अपना रणनीतिक साक्षीदार मानता रहा है। 1998 में जब भारत ने परमाणु परीक्षण किया तो अमेरिका समेत देशों ने प्रतिबंध लगाए। वहीं यूरोपिय देश फ्रांस भारत के साथ खड़ा रहा। दोनों देशों के बीच भागीदारी बढ़ाने के लिए अक्सर फ्रांसीसी युद्धपोत भारत आते रहते हैं। दोनों देश हिंद महासागर में अवैध तस्करी, अवैध रूप से मछली पकड़ने के खिलाफ ऐक्शन और राहत तथा बचाव को अंजाम देते हैं। चांस डी गाले एयरक्राफ्ट कैरियर की बात करें तो यह 42,500 टन का है। यह परमाणु ऊर्जा से चलता है। अमेरिका के बाद फ्रांस ही है जिसका परमाणु एयरक्राफ्ट कैरियर भारत पहुंचा है। चार्ल्स डी गाले राफेल फाइटर जेट से लैस है। इसे भारत भी अपनी नेवी के लिए खरीद रहा है। भारतीय वायुसेना के पास पहले से ही राफेल मौजूद है। भारतीय नौसेना ने फ्रांस से ही स्कॉर्पिन पनडुब्बी भी खरीदी है। इस शक्ति प्रदर्शन के जरिए फ्रांस रूस को भी संदेश देने की कोशिश करेगा जो यूरोप पर हमले का मंसूबा रखता है। फ्रांस ने यह दिखाया है कि वह बिना रूसी हमले के डर के कहीं भी अपने एयरक्राफ्ट कैरियर को भेज सकता है।
Rajneesh kumar tiwari