जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। 17 सितम्बर को आसमान में अद्भुत नजारा दिखाई देगा। इस दिन होने वाला सुपर हार्वेस्ट मून विशेष रूप से उल्लेखनीय होगा। सुपरमून होने के साथ ही 17 सितम्बर की पूर्णिमा को आंशिक चंद्रग्रहण भी होने जा रहा है। इस दिन चंद्रमा सामान्य की तुलना में थोड़ा बड़ा दिखाई देगा, जो इसे और भी रोमांचक बनाएगा। आमतौर पर सभी पूर्णिमा अपने आप में खास होती है, लेकिन इस महीने की पूर्णिमा पर अविस्मरणीय संयोग बन रहा है। इस दिन आसमान मेंं सुपर हार्वेस्ट मून दिखाई देगा। इसके अलावा17 सितम्बर को चंद्रग्रहण के दिन चांद की कई कलाएं देखने को मिलेगी। इस चंद्रग्रहण सुबह 6 बजकर 11 मिनट से आरंभ हो रहा है। जो सुबह 10 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगा। इस चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 4 घंटे 6 मिनट की होगी। वैज्ञानिकों के अनुसार, जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीध में आ जाते हैं और इस कारण सूर्य का प्रकाश पृथ्वी के कारण स्पेस डाट काम की रिपोर्ट के अनसार, फुल हार्वेस्ट मून के दौरान लगने वाला आंशिक चंद्रग्रहण उत्तरी अमेरिका के अधिकांश हिस्सों और पूरे दक्षिण अमेरिका, यूरोप में देखा जा सकेगा। इसके साथ ही यह अफ्रीका के पूर्वी भागों को छोड़कर बाकी हिस्से, एशिया और रूस के पश्चिमी भाग और अंटार्कटिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। बता दें कि सुपरमून या हार्वेस्ट मून कोई खगोलीय शब्द नहीं है। यह उस पूर्णिमा को कहा जाता है जो शरद विषुव के करीब होती है। इस वजह से चंद्रमा पृथ्वी के सबसे करीब होता है, जिसके चलते इस समय यह आकाश में सामान्य की तुलना में थोड़ा बड़ा दिखाई देता है। अधिकांश लोगों के लिए नग्न आंखों से इस अंतर को देख पाना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में टेलीस्कोप की मदद से इस अंतर को साफ समझा जा सकेगा। सितंबर में होने वाला फुल हार्वेस्ट मून इस साल का दूसरा सुपरमून है। यह अगस्त के ब्लू मून के बाद हो रहा है। हार्वेस्ट मून नाम इसे बहुत पहले दिया गया था। बता दें कि शरद विषुव उस खास घटना को कहा जाता है, जब सूर्य उत्तरी से दक्षिणी गोलार्द्ध में प्रवेश करता है। शरद ऋतु की शुरूआत के साथ ही ये वह समय होता है, जब फसलें अपने चरम पर होती हैं। जब बिजली नहीं थी तो किसान देर रात में फसले काटने के लिए चंद्रमा की रोशनी पर निर्भर हुआ करते थे। इसीलिए किसान इसे हार्वेस्ट मून कहा करते थे।
Rajneesh kumar tiwari