जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। 12 जनवरी को आकाश में बेहद अद्भुत नाजारा दिखाई देगा। इस दिन आकाश में मंगल ग्रह 10000 गुना ज्यादा चमकेगा। इससे मंगल ग्रह के वे राज भी देखने को मिलेंगे जो धरती पर रहने वालों के लिए दुर्लभ थे। इस दिन मंगल ग्रह पर स्थित सौर मंडल का सबसे ऊंचा ज्वालामुखी ओलंपस मॉन्स को देखा जा सकेगा। ऐसे में अंतरिक्ष की घटनाओं में दिलचस्पी रखने वालों को यह मौका किसी हाल में नहीं गंवाना चाहिए। मंगल ग्रह 12 जनवरी की रात आसमान में अपनी अलग चमक बिखेरने के लिए तैयार है। इसका कारण एक अद्भुत खगोलीय घटना है। यह हर साल 26 महीनों में एक बार होती है। बता दें कि हर 26 महीने में मंगल ग्रह पृथ्वी के करीब आता है। इससे मंगल की चमक काफी तेज दिखाई देती है। यह आम दिनों में नहीं दिखता। ऐसे में पृथ्वी के करीब रहने के कारण मंगल ग्रह कई अन्य सितारों की तुलना में अधिक चमकीला होगा। मंगल ग्रह अपनी खास लाल रंग की चमक को बिखेरेगा। अगर आपके पास अच्छी क्वालिटी की दूरबीन है तो आप मंगल की सतह की विशेषताओं को देख सकते हैं। वहीं मंगल ग्रह के पृथ्वी के करीब आने से खास घटना यह होगी कि पृथ्वी, मंगल और सूर्य के ठीक बीच में होगी। इस स्थिति में मंगल ग्रह तक सूर्य का पूरा प्रकाश नहीं पहुंचेगा। ऐसे में रात के आसमान में यह ग्रह स्पष्ट रूप से अधिक चमकीला और अधिक जीवंत दिखाई देगा। इससे एक अभूतपूर्व दृश्य दिखेगा। सबसे हैरानी वाली बात यह है कि इस दिन मंगल ग्रह पूरी रात दिखाई देगा। यह ग्रह सूर्यास्त के समय उदय होगा और सूर्योदय के समय अस्त होगा, जिससे इसे पूरी रात इस नजारे को निहारने का मौका मिलेगा। 12 जनवरी को लाल ग्रह पृथ्वी से करीब 59.7 मिलियन मील की दूरी पर होगा। इस दौरान मंगल बहुत चमकीला होगा। जिससे यह आकाश में औसत तारे से 10,000 गुना अधिक चमकीला हो जाएगा। सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह मिथुन राशि में आता है। इस प्रकार, यह रात के आकाश में बहुत अधिक दिखाई देगा। उस समय मंगल ग्रह के डिस्क आकार 14.6 आर्कसेकंड होगा। यह बात इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि दूरबीनों की सहायता के बिना लोग आकाश में मंगल को एक बड़ी वस्तु के रूप में देख पाएंगे। यह उन दुर्लभ घटनाओं में से एक है जहां मंगल सभी को दिखाई देता है, चाहे वे दूरबीन से लैस हों या नहीं। खगोल वैज्ञानिकों का मानना है कि जिनके पास दूरबीन है, उन्हें मंगल की सतह विस्तार से देखने को मिलेगी। खगोलविद मंगल ग्रह पर सबसे प्रसिद्ध विशेषताओं को भी देख सकते हैं। जिसमें सौर मंडल का सबसे ऊंचा ज्वालामुखी ओलंपस मॉन्स भी शामिल है। लावा उगलने पर यह लगभग 16 मील की ऊंचाई तक पहुंच जाता है। यह पृथ्वी पर मौजूद माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई से लगभग तीन गुना अधिक है। मंगल की अन्य विशेषताओं की बात करें तो इसमें वैलेस मेरिनेरिस भी शामिल है। यह एक विशाल घाटी प्रणाली है जो लगभग 2,500 मील तक फैली हुई है। 12 जनवरी के दिन वैज्ञानिक दूरबीन से इसका भी दीदार कर सकेंगे।
Rajneesh kumar tiwari