जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। यूरेनस यानी अरुण ग्रह और उसके पांच सबसे बड़े चंद्रमा को लेकर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। नए शोध ने 40 साल पुरानी उस थ्योरी को पलट दिया है जिसमें कहा गया था कि वहां जीवन नहीं है। अब पता चला है कि धरती के बाद यहां जीवन की पूरी संभावनाएं हैं। यहां समुद्र हैं जिसके भीतर मछलियां तैर रही हैं। यूरेनस यानी अरुण ग्रह और उसके पांच सबसे बड़े चंद्रमा यानी उपग्रह सुनसान और निर्जीव दुनिया नहीं है। जैसाकि वैज्ञानिक 40 साल से यह सोचते आ रहे थे उसके थे। अब नए शोध से पता चला है कि वहां महासागर हैं और जीवन की भी पूरी संभावना हो सकती है। बता दें कि इसके बारे में जो जानकारी मिली है, वह नासा के वॉयेजर 2 अंतरिक्ष यान के जरिए जुटाई गई थी। यह लगभग 40 साल पहले इस ग्रह से होकर गुजरा था। नई जांच में पता चला है कि वॉयेजर की यात्रा के दौरान एक शक्तिशाली सौर तूफान आया था। जिसकी वजह से यूरेनस की प्रणाली को लेकर भ्रामक जानकारियां मिली थीं। हमारे सौर मंडल के बाहरी छोर पर यूरेनस एक सुंदर, बर्फ से ढकी हुई दुनिया है। ये सभी ग्रहों में सबसे ठंडा ग्रह है। ये भी कहा जाता है कि ये बाकी सभी ग्रहों की तुलना में अपनी ओर इतना झुका हुआ है जैसे इसे गिरा दिया गया हो। यह खासियत इस ग्रह को सबसे अजीब बनाती है। बता दें कि 1986 में इस ग्रह की बेहद करीब से तस्वीरेली गई थी। यह इकलौता स्पेसक्राफ्ट है जो यूरेनस और नेपच्यून पर गया है। इसे 1977 में लॉन्च किया गया था। तब वैज्ञानिकों ने वहां से उस ग्रह और इसके पांच अहम चंद्रमाओं की तस्वीरें भी भेजी थीं। बता दें किय ग्रह वर्तमान में पृथ्वी से 20 बिलियन किलोमीटर से अधिक दूरी पर है। नई जांच ने दशकों पुराने इस रहस्य को सुलझा दिया है। इसमें पता चला कि जब वॉयेजर 2 ने उड़ान भरी थी, तो वो उड़ान भरने के लिए सही दिन नहीं था। जब वॉयेजर 2 ने उड़ान भरी थी, तब सूरज बेहद तेज था। इस दौरान आए शक्तिशाली सौर तूफान ने वहां मौजूद पदार्थ को उड़ा दिया। चुंबकीय क्षेत्र को अस्थायी रूप से टेढ़ा-मेढ़ा कर दिया। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के डॉ. विलियम डन के अनुसार हम पिछले 40 सालों से यूरेनस और उसके पांच सबसे बड़े चंद्रमाओं को गलत नजरिए से देख रहे थे। ये परिणाम बताते हैं कि यूरेनस की प्रणाली हमारी सोच से कहीं ज्यादा दिलचस्प है। वहां ऐसे चंद्रमा हैं जिनमें जीवन के लिए जरूरी परिस्थितियां मौजूद हैं। उनकी सतह के नीचे ऐसे महासागर हैं जिनमें मछलियां भरी हो सकती हैं। लिंडा वॉयेजर मिशन परियोजना की वैज्ञानिक लिंडा स्पिलकर ने नए नतीजों के बारे में अपनी खुशी जताई। यह अध्ययन जर्नल नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित हुए हैं। उन्होंने कहा कि परिणाम आकर्षक हैं। मैं यूरेनस प्रणाली में जीवन की संभावनाओं को देखने के लिए बेहद उत्सुक हूं। वो आगे कहती हैं कि मुझे बेहद खुशी है कि वॉयेजर डेटा के साथ इतना कुछ किया जा रहा है। वैज्ञानिक 1986 में इकट्ठा किए गए डेटा को फिर से देख रहे हैं और नए परिणामों और नई खोज कर रहे हैं। बता दें कि नासा के यूरेनस यान के 2045 तक पहुंचने की उम्मीद है। तब वैज्ञानिकों को यह पता लगाने में कामयाब होंगे कि दूर-दराज के बफीर्ले चंद्रमाओं में जीवन की कितनी संभावना हो सकती है।
Rajneesh kumar tiwari