जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। वायु क्षेत्र हो या जल क्षेत्र भारत के सामने अब चीन कहीं टिक नहीं पाएगा। अमेरिका ने भारत के साथ ऐसे रक्षा समझौते किए हैं जैसा उसने आज तक किसी अन्य देश के साथ नहीं किया था। इन रक्षा सौदों में लड़ाकू विमान से लेकर मिशन 500 तक शामिल है। पीएम मोदी और ट्रंप के बीच खतरनाक पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की खरीद को लेकर खास बातचीत हुई। इन रक्षा सौदों के पूरा होते ही युद्धक्षेत्र में भारत के सामने चीन पानी मांगेगा। पीएम मोदी के अमेरिका दौरे पर दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में कई अहम समझौते हुए। जिनमें दोनों देशों के बीच एक 10 साल का फ्रेमवर्क बनाने पर सहमति बनी। जिससे दोनों देशों के बीच रक्षा साझेदारी को बढ़ाया जाएगा। इसके तहत भारत, अमेरिका से जेवलिन एंटी टैंक मिसाइलें, स्ट्राइकर आर्म्ड लड़ाकू वाहन और पी81 नौसैनिक सर्विलांस विमानों की खरीद करेगा। साथ ही इंटरनेशनल ट्रैफिक इन आर्म्स रेगुलेशंस की भी समीक्षा की जाएगी। जिससे दोनों देशों के बीच तकनीकी स्थानांतरण और रक्षा उपकरणों की सप्लाई हो सके। भारत और अमेरिका रेसीप्रोकल डिफेंस अधिग्रहण समझौते पर बातचीत के लिए भी सहमत हुए हैं। अगर सब कुछ सही रहता है तो दोनों देश एक दूसरे के यहां से अहम रक्षा उपकरणों की खरीद कर सकेंगे। दोनों देशों में अंतरिक्ष, हवाई सुरक्षा, मिसाइल, मेरीटाइम और समुद्री युद्ध जैसे क्षेत्रों में रक्षा सहयोग बढ़ाने पर भी बात हुई। अमेरिका ने भारत को पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बेचने के लिए अपनी नीति की समीक्षा का भी एलान किया है। एफ-35 लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने भी बयान जारी किया। बयान में कंपनी ने कहा कि भारत को एफ-35 लड़ाकू विमान मुहैया कराने के एलान से हम उत्साहित हैं। हम दोनों सरकारों के साथ मिलकर काम करने और लड़ाकू विमान, जैवलिन और हेलीकॉप्टर्स जैसे रणनीतिक अधिग्रहण पर काम करेंगे, जिससे भारतीय सशस्त्र बलों को और सशक्त करेंगे।' ट्रंप द्वारा एफ-35 स्टेल्थ फाइटर जेट्स की पेशकश की घोषणा बेहद अहम है। यह घोषणा व्हाइट हाउस में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान हुई। जो द्विपक्षीय रक्षा सहयोग में एक महत्वपूर्ण बदलाव को चिह्नित करती है। एफ-35 पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ लड़ाकू विमान है। यह अपनी अविश्वसनीय गति और उन्नत तकनीक के लिए जाना जाता है। यह विमान उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों, खुली वास्तुकला, उन्नत सेंसर और असाधारण जानकारी संलयन क्षमताओं से लैस है। यह हर मौसम में उड़ान भरने वाला स्टेल्थ मल्टीरोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट है। यह एयरसुपीरियरिटी और स्ट्राइक मिशन के लिए बनाया गया है। इसे इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर, जासूसी, सर्विलांस, रीकॉन्सेंस जैसे मिशन में प्रयोग किया जा सकता है। इसकी अधिकतम गति 1976 प्रति/घंटा है। कॉम्बैट रेंज 1239 किलोमीटर है। अधिकतम 50 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है। इसमें 4 बैरल वाली 25 मिमी की रोटरी कैनन लगी है। जो एक मिनट में 180 गोलियां दागती है। इसमें चार अंदरूनी और छह बाहरी हार्डप्वाइंट्स हैं। हवा से हवा, हवा से सतह, हवा से शिप और एंटी-शिप मिसाइलें तैनात की जा सकती है। इसके अलावा चार तरीके के बम लगाए जा सकते हैं। भारत और अमेरिका ने ओटोनॉमस सिस्टम्स इंडस्ट्री अलायंस समझौते की भी शुरूआत की है। इसके तहत दोनों देश समुद्र की भीतर सहयोग को बेहतर बनाएंगे और अंडरवाटर डोमेन अवेयरनेस के तहत संवेदनशील तकनीक को साथ मिलकर विकसित करेंगे। भारत पहला देश है, जिसके साथ मिलकर अमेरिका संवेदनशील समुद्री तकनीक को विकसित करेगा। साथ ही सी पिकेट सर्विलांस सिस्टम, वेब ग्लाइडर अनमैन्ड व्हीकल, लो फ्रीक्वेंसी एक्टिव सोनार्स, समेत विभिन्न रक्षा तकनीक साथ मिलकर विकसित करने पर भी दोनों देशों में बात हुई। यानी इन समझौतों के पूरा होते ही भारत की केवल वायुसेना मजबूत नहीं होगी बल्कि जलसेना भी अभेद्य होगी।
Rajneesh kumar tiwari