December 16, 2024
नई दिल्ली। वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में एक ऐसे ग्रह की खोज की है जो धूमकेतु की तरह गैस की पूंछ बना रहा है। यह कोई छोटी मोटी पूंछ नहीं है, बल्कि इतनी लंबी है कि इसके अंदर कई पृथ्वी समा सकती हैं। इतना ही नहीं, ग्रह की यह रहस्यमयी पूंछ लगातार बढ़ती जा रही है जिसे देखकर वैज्ञानिक हैरान हैं। वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के 160 प्रकाश-वर्ष दूर एक धूमकेतु की तरह ग्रह खोजने का दावा किया है। उन्होंने इस ग्रह का नाम ‘डब्ल्यूएएसपी-69बी’ रखा है। इस ग्रह की सबसे बड़ी खासियत इसकी पूंछ है। जो 5.6 लाख किलोमीटर लंबी है। यह इतनी विशाल है कि इसके अंदर 40 पृथ्वी आ सकती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि अपने तारे के बेहद करीब यह ग्रह अत्यधिक गर्मी के कारण प्रति सेकंड 2 लाख टन गैस खो रहा है। जिसमें ज्यादातर हीलियम और हाइड्रोजन है। वैज्ञानिकों के अनुसार, पूंछ जैसी दिखने वाली यह विशाल संरचना ग्रह के वायुमंडल से लीक होने वाली गैस से बन रही है। यह गैस 7 अरब साल से निकल रही है। जिस दर से ग्रह से गैस निकल रही है उस दर से एक्सोप्लैनेट ने संभवत: अपने जीवनकाल के दौरान 7 पृथ्वी के बराबर द्रव्यमान खो दिया है। इस गर्म ग्रह की खोज लॉस एंजेलिस की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं की की एक टीम ने की है। जिसकी रिपोर्ट लाइव साइंस पत्रिका में में छपी है। शोधकर्ताओं की टीम ने हवाई में स्थित वेधशाला के डेटा के जरिए इस ग्रह और उसके वातावरण के विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि वास्तव में इसकी पूंछ 5.6 लाख किलोमीटर तक फैली हुई है जो पृथ्वी की चौड़ाई से लगभग 44 गुना है। स्टडी के लेखक डकोटा टायलर के अनुसार, पिछले अवलोकनों में यह संकेत मिला था कि ग्रह में पूंछ हो भी सकती है और नहीं भी हो सकती है। लेकिन नए शोध में हम यह दिखाने में सफल रहे कि ग्रह की हीलियम पूंछ बहुत विशाल है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ग्रह की पूंछ तब बनती है जब तारकीय हवाएं लीक हो रही गैस को ग्रह से दूर धकेल देती हैं। जिससे उसके पीछे गैस का एक निशान बन जाता है। तारकीय हवाएं हमारे सूर्य से निकलने वाली सौर हवाओं के समान हैं। अगर तारकीय हवाएं गायब हो जाएं तो पूंछ भी खत्म हो जाएगी। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह नया शोध ग्रहों के वायुमंडल और तारों के बदलते संबंधों के बारे में बहुत कुछ बता सकता है। इसके अलावा, इस खोज से तारों और उनकी हवाओं के बर्ताव की भी जानकारी मिल सकती है। इससे वैज्ञानिकों को सूर्य के बारे में और अधिक बेहतर ढंग से समझने का मौका मिलेगा।
Arun kumar baranwal