नई दिल्ली। ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने के लिए वैज्ञानिक वर्षों से शोध कर रहे हैं। अब वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड में एक ऐसी आकाशगंगा का पता लगाया है जो बेहद चमकदार है। साथ ही यह बेहद गर्म और बड़े तारों से भरी हुई है। यह आकाशगंगा इतनी अजीब है जिसे देखकर वैज्ञानिक हैरान हैं। जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की मदद से वैज्ञानिकों ने एक बेहद चमकीली आकाशगंगा की खोज की है। यह चमक में अपने भीतर मौजूद तारों को भी मात देती है। वैज्ञानिकों ने इस गैलेक्सी का नाम ‘जीएस-एनडीजी-9422’ रखा है। यह ऐसे इलाके में है जो बिग बैंग के लगभग एक अरब साल बाद अस्तित्व में आया था। इस गैलेस्की की खोज से वैज्ञानिक बेहद उत्साहित हैं, उन्हें उम्मीद है कि इससे ब्रह्मांड के पहले तारों और अच्छी तरह से संरचित आकाशगंगाओं के बीच लुप्त कड़ी को जोड़ने में मदद मिल सकती है। शोधकर्ताओं की टीम के प्रमुख आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में खगोल विज्ञानी एलेक्स कैमरन के अनुसार, इस गैलेक्सी के जरिए ब्रह्मांडीय कहानी की शुरूआत को समझने में मदद मिलेगी। जब उन्होंने पहली बार इसे देखा तो इसकी आवृत्तियों के समूह को देखकर वे हैरान रह गए। बता दें कि कैमरन और उनके सहयोगियों ने बीते दिनों एक रिसर्च पब्लिश किया था। जिसमें उन्होंने बताया था कि खोजी गई नई आकाशगंगा अदृश्य है। सिवाय इसके अनोखे लाइट सिग्नेचर के, जिसमें ऐसे पैटर्न शामिल हैं जिन्हें पहले नहीं देखा गया था। शोध में उन्होंने बताया है कि जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से जो प्रकाश उन्होंने देखा उसे आकाशगंगा की बेहद गर्म गैस द्वारा सबसे अच्छी तरह से समझाया जा सकता है। शोध के अनुसार, गैसों के बादल गर्म और विशाल तारों द्वारा इस हद तक गर्म हो जाते हैं कि उनके तारे उनके ब्रह्मांडीय जन्मस्थानों को पीछे छोड़ देते हैं। इन बादलों के कंप्यूटर मॉडल टेलीस्कोप के अवलोकन से लगभग पूरी तरह मेल खाते हैं। नई आकाशगंगा में बड़ी तेजी से तारों का जन्म हो रहा है। शोध में वैज्ञानिकों की टीम ने दावा किया है कि नई आकाशगंगा में मौजूद गैस और धूल के भंडार प्रकाश के अनगिनत फोटॉनों से टकरा रहे हैं। यही वह चमकीला प्रकाश है जिसे जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से देखा गया है। बता दें कि फोटॉन द्रव्यमान रहित वे कण होते हैं जो हमेशा निर्वात में मापी गई प्रकाश की गति से चलते हैं। टेलीस्कोप का डेटा संकेत देता है कि इसके तारे ‘उन तारों से कहीं अधिक गर्म और बड़े होंगे जो स्थानीय ब्रह्मांड में देखे हैं।’ नए शोध में तारों का तापमान 80,000 डिग्री सेल्सियस से अधिक मापा गया है, जो सामान्य गर्म और विशाल तारों के लिए अपेक्षित तापमान से लगभग दोगुना है।
Arun kumar baranwal