नई दिल्ली। चंद्रमा को लेकर वैज्ञानिकों ने एक बड़ी खोज की है। यह कारनामा टोक्यो यूनिवर्सिटी के ग्रह भूकंप विज्ञानी ने किया है। उन्होंने नासा के अपोलो मिशन से जुड़े अनसुलझे डेटा से चंद्रमा पर होने वाले भूकंपों का पता लगाया है। उनकी इस खोज से नासा के वैज्ञानिक भी हैरान हैं। टोक्यो यूनिवर्सिटी के ग्रह भूकंप विज्ञानी कीसुके ओनोडेरा ने 50 साल पुराने डेटा में का परीक्षण कर नया खुलासा किया है। उन्होंने 60 के दशक में भेजे गए नासा के अपोलो मिशन डेटा की समीक्षा की। जिसमें उन्हें 20 हजार से ज्यादा चंद्रमा भूकंपों का संकेत मिला है। ओनोडेरा द्वारा की गई रिसर्च के अनुसार, चंद्रमा पर पहले की तुलना में अधिक टेक्टोनिक घटनाएं हुई हैं। माना जा रहा है कि उनकी यह खोज चंद्रमा और भविष्य के मानव मिशनों के लिए तैयारी में काम आ सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, 1960 से 1970 के दशक में नासा द्वारा भेजे गए अपोलो मिशन में दो प्रकार के भूकंपमापी यंत्र लगाए गए थे। जिसमें से एक चंद्रमा की सतह के अंदर से पैदा होने वाली लंबी भूकंपीय तरंगों की जानकारी इकट्ठा करने के लिए था। वहीं, दूसरा छोटी भूकंपीय तरंगों का पता लगाने के लिए था जो चंद्रमा की सतह के करीब होती हैं। इन यंत्रों ने 1969 से 1977 तक लगातार भूकंपीय ऊर्जा का डेटा इकट्ठा किया। जिसमें 13000 से ज्यादा भूकंपीय घटनाओं का मूल्यांकन किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, छोटे भूकंपीय तरंगों का पता लगाने वाले भूकंपमापी के डेटा को इतना उलझा दिया गया कि इसे अनुपयोगी माना गया। या यूं कहें कि यह इतना जटिल था कि इसे अनसुलझा मान लिया गया। पिछले साल से ओनोडेरा इसी डेटा को सुलझाने में लगे थे। अभी तक किसी भी चंद्र वैज्ञानिक ने ऐसा नहीं किया था। वैज्ञानिकों के अनुसार, भूकंपमापी से डेटा आकृतियों में रिपोर्ट किया जाता है, क्योंकि मीटर भूकंपीय तरंगों का आकार बनाते हैं। आकृतियों को देखकर ही भूकंप की उत्पत्ति का पता लगाया जाता है। अपोलो मिशन के डेटा को सुलझाने के बाद ओनोडेरा ने 22 हजार से ज्यादा भूकंपीय घटनाओं को पता लगाया। इससे कुल ज्ञात संख्या 35 हजार से ज्यादा हो गई है। ओनोडेरा ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए लिखा कि मैंने 22 हजार भूकंपों का पता लगाया। यह मूल डेटाबेस की तुलना में बहुत अधिक घटनाएं हैं। ओनोडेरा ने प्रत्येक घटना के ग्राफ को देखकर इसकी पहचान की। यह ऐसी चीज है, जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। उनकी इस उपलब्धि पर नासा के वैज्ञानिक भी हैरान हैं।
Arun kumar baranwal