जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। एक चौंकाने वाली खोज में वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांडीय नरसंहार के सबूत खोजे हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि एक बड़ी आकाशगंगा अपने से छोटी आकाशगंगा के टुकड़े-टुकड़े कर रही है। यह खोज द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल सप्लीमेंट सीरीज में छपी है। ब्लैक होल को लेकर तरह-तरह के शोध होते रहते हैं। आए दिन इस महादैत्य के बारे में खबरें सुनने को मिलती रहती हैं। ब्लैक होल राक्षस के बारे में अक्सर सुना जाता है कि वह तारो को निगल रहा है। वहीं इस बार वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांडीय नरसंहार के सबूत खोजे हैं। शोध यह बताता है कि हमारी अपनी गैलेक्सी की सबसे नजदीक पड़ोसी स्मॉल मैगेलैनिक क्लाउड यानी एसएमसी है। इसे बड़े पड़ोसी लॉर्ज मैगेलैनिक क्लाउड यानी एलएमसी द्वारा खत्म किया जा रहा है। यह खोज द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल सप्लीमेंट सीरीज में छपी है। बता दें कि एसएमसी पृथ्वी से लगभग 2 लाख प्रकाश-वर्ष दूर स्थित एक बौनी गैलेक्सी है। यह एलएमसी के साथ मिल्की वे की परिक्रमा करती है। ये दोनों गैलेक्सियां अरबों साल बाद मिल्की वे में विलीन हो जाएंगी। नए रिसर्च से पता चला है कि एसएमसी का भविष्य बेहद भयावह हो सकता है। जापान की नागोया यूनिवर्सिटी के खगोलविद केंगो ताचिहारा और उनकी टीम ने यूरोपीय स्पेस एजेंसी के गैया स्पेसक्राफ्ट के डेटा का विश्लेषण किया। गैया ने मिल्की वे और उसके आसपास की गैलेक्सियों में लगभग 2 अरब तारों की स्थिति मापी। इस डेटा के आधार पर शोधकर्ताओं ने एसएमसी के भीतर 7,000 तारों की गति का अध्ययन किया। इस शोध के दाैरान चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। ताचिहारा के अनुसार एसएमसी के तारे गैलेक्सी के दोनों ओर विपरीत दिशाओं में बढ़ रहे हैं। मानो उन्हें अलग-अलग खींचा जा रहा हो। कुछ तारे एलएमसी की ओर बढ़ रहे हैं। वहीं कुछ उससे दूर जा रहे हैं। यह असामान्य गति इस बात का संकेत देती है कि एलएमसी अपने छोटे साथी एसएमसी पर गुरुत्वाकर्षण बल लगा रहा है। जिससे वह धीरे-धीरे नष्ट हो रहा है। सबसे मुश्किल वाली बात यह है कि एसएमसी के तारे गैलेक्सी के चारों ओर नहीं घूम रहे हैं। यह गैलेक्सी के बारे में वर्तमान समझ को चुनौती देता है। एसएमसी और एलएमसी का अध्ययन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये गैलेक्सियां ब्रह्मांड के शुरुआती दिनों में बनी हैं। इनमें धातुओं की मात्रा कम है। इनमें गुरुत्वाकर्षण बल कमजोर है। इनकी परस्पर क्रियाओं को समझकर खगोलविद यह पता लगा सकते हैं कि गैलेक्सियां कैसे विकसित होती हैं। ताचिहारा का मानना है कि इस पर विस्तृत शोध की आवश्यकता है। ऐसे में एसएमसी और एलएमसी ऐसी गैलेक्सियां हैं जहाँ हम तारों की गति का विस्तार से अध्ययन कर सकते हैं। इसके लिए आधुनिक उपकरणों का प्रयोग किया जा सकता है।
Rajneesh kumar tiwari