नई दिल्ली। चांद पर जीवन संभव है या नहीं? यह सवाल अंतरिक्ष यात्रियों को चांद की तरफ बार-बार खींच ले जाता है। चांद पर कई मिशन चलाए गए, ना जाने खितनी बार खोज भी हुई। लेकिन, अब चांद पर कुछ ऐसा मिला है, जिससे वहां इंसानों को बसाने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। वैज्ञानिकों ने चांद पर एक गुफा मिलने का दावा किया है। इतालवी वैज्ञानिकों की टीम को चांद की सतह पर एक गुफा होने के सबूत मिले हैं। यह गुफा उस स्थान से ज्यादा दूर नहीं है जहां 20 जुलाई 1969 को अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन ने चहलकदमी की थी। वैज्ञानिकों को वहां ऐसी और सैकड़ों गुफाएं मिलने की संभावना है, जो भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों की पनहगार बन सकती है। यह गुफा अपोलो-11 के लैंडिंग स्थल से सिर्फ 400 किलोमीटर दूर सी आफ ट्रैंक्विलिटी में स्थित है। वैज्ञानिकों के अनुसार, चांद पर खोजे गए 200 से अधिक अन्य गड्ढों की तरह, एक लावा ट्यूब के ढहने से यह गुफा बनी थी। शोधकर्ताओं ने नासा के लूनर रिकॉनिसेंस आर्बिटर द्वारा रडार मापों का विश्लेषण किया। इसके बाद उन्होंने पृथ्वी पर लावा ट्यूबों के साथ परिणामों की तुलना की। शोध टीम ने लूनर रिकॉनेसेंस आॅर्बिटर द्वारा एकत्र किए गए रडार डेटा का विश्लेषण किया। जिसका निष्कर्ष हाल ही में ‘नेचर एस्ट्रोनॉमी’ पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। शोध टीम के निष्कर्षों से पता चला कि चांद पर स्थित एक गहरा गड्ढा है, जो लगभग 45 मीटर चौड़ी और 80 मीटर तक लंबी गुफा की ओर जाता है। यह गुफा, चांद की सतह से लगभग 150 मीटर नीचे स्थित है। इसका क्षेत्रफल लगभग 14 टेनिस कोर्ट के बराबर है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह गुफा इतनी बड़ी है कि इसे बिना किसी उपकरण के देखा जा सकता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि गुफा में चांद की सतह की ओर एक रोशनदान है जो आगे जाकर अंडरग्राउंड हो जाता है। चांद पर गुफा मिलने पर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का कहना है कि ये गुफाएं लावा ट्यूब की होंगी, ऐसी गुफाएं पृथ्वी पर भी पाई जाती हैं। नासा का मानना है कि चांद की इन गुफाओं में इंसान का रहना संभव हो सकता है। ये गुफाएं अंतरिक्ष यात्रियों के लिए इमरजेंसी शेल्टर का निर्माण कर सकती हैं। इनके अंदर अंतरिक्ष यात्री कॉस्मिक रेडिएशन, सोलर सेडिएशन या उल्कापिंडों से सुरक्षित रह सकते हैं।
Arun kumar baranwal