जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली : नासा के विज्ञानियों ने वेब स्पेस टेलीस्कोप की मदद से बृहस्पति की तरह एक नए विशालकाय ग्रह का पता लगाया है। इस ग्रह का व्यास बृहस्पति के समान है लेकिन द्रव्यमान छह गुना अधिक है। इसका वातावरण भी बृहस्पति की तरह हाइड्रोजन से समृद्ध है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह अपने तारे का चक्कर लगाने में 250 साल का समय लगाता है। दुनिया के सामने एक नए ग्रह की खोज की गई है। आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर डा. प्रशांत पाठक खगोलविदों की इस अंतरराष्ट्रीय टीम में शामिल हैं। नासा की टीम ने इस विशालकाय ग्रह को एप्सिलान इंडी एब नाम दिया है। यह सूर्य के समान एक निकटवर्ती तारे की परिक्रमा कर रहा है। इस ग्रह को सुपर जुपिटर के रूप में वगीर्कृत किया गया है। इस ग्रह का द्रव्यमान बृहस्पति के द्रव्यमान से 6 गुना अधिक है। बता दें कि बृहस्पति हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। इतना ही नहीं इस नए ग्रह की खोज और अनुसंधान के बारे में विज्ञान की सबसे बड़ी पुस्तिकाओं में से एक नेचर में लेख प्रकाशित किया गया है। नया ग्रह का वातावरण भी बृहस्पति की तरह हाइड्रोजन से समृद्ध है। इस ग्रह को अपने तारे के चारों ओर चक्कर लगाने में एक शताब्दी से अधिक संभवत: 250 वर्ष तक का समय लगता है। बता दें कि इससे पहले वैज्ञानिकों को लंबे समय से संदेह था कि एक बड़ा ग्रह 12 प्रकाश वर्ष दूर तारे की परिक्रमा कर रहा है। वहीं इसके इतने बड़े होने का अनुमान नहीं था। जर्मनी में मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फार एस्ट्रोनामी के एलिजाबेथ मैथ्यूज के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने पिछले साल टेलीस्कोप द्वारा एकत्र किए गए चित्रों के अध्ययन के बाद नेचर जर्नल में निष्कर्ष प्रकाशित किए। इस ग्रह को खोजने के लिए ईपीएस इंड और प्रत्यक्ष इमेजिंग तकनीक का उपयोग किया गया है। बता दें कि इमेजिंग तकनीक से खोजा जाने वाला यह पहला ग्रह है। जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के मीट इंफ्रारेड उपकरण का उपयोग करते हुए खगोलविदों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने इस नए ग्रह का प्रत्यक्ष चित्र लिया है। यह नया ग्रह पृथ्वी से 12 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है। इसके साथ ही यह बेहद ठंडा ग्रह है। इसका तापमान माइनस एक डिग्री सेल्सियस है। वैज्ञानिकों के अनुसार इसकी कक्षा भी बहुत बड़ी है। आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर डा. प्रशांत पाठक का इस बारे में कहना है कि यह खोज बेहद रोमांचक रही। इससे अंतरिक्ष की कई ऐसी चीजों के बारे में भी जानकारी मिली है जो अब तक किसी के पास नहीं थी। इस ग्रह के वायुमंडल में एक आसमान संरचना प्रतीत होती है। ग्रह वायुमंडल में एक असामान्य संरचना है जो उच्च धातु सामग्री और अन्य ग्रहों की तुलना में कार्बन से-आक्सीजन अनुपात को इंगित करती है। इसका मतलब है कि यहां कार्बन के साथ आक्सीजन की मात्रा पाई जा सकती है।
Rajneesh kumar tiwari