जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। वैज्ञानिकों के नए अध्ययन में खतरनाक खुलासा हुआ है। नई स्टडी केअनुसार जमीन के भीतर एक लहर दौड़ रही है। इससे भारत समेत दुनिया भर के महाद्वीप ऊपर की ओर उठ रहे हैं। इंग्लैंड के साउथहैम्प्टन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने अध्ययन में चौंकाने वाला दावा किया है। इस अध्ययन में पाया गया है कि धरती की दूसरी लेयर यानी मेंटल में बड़ी-बड़ी लहरें उठ रही हैं। जिसकी वजह से दुनिया भर के महाद्वीप ऊपर की ओर उठ रहे हैं। ऊपर की परत यानी क्रस्ट में बड़ी-बड़ी दरारें आ रही हैं। बता दें कि इससे पहले यह घटना अफ्रीका के हार्न में देखी गई थी। बता दें कि पृथ्वी के अंदरूनी हिस्से में होने वाली हलचल से महाद्वीपों के बीच के हिस्से में ऊंचे पठार बनते हैं। जब महाद्वीप टूटते हैं, तो उनके किनारों पर बड़ी-बड़ी चट्टानें उठती हैं। इस टूटने ने प्रक्रिया से पृथ्वी के भीतर लहर पैदा होती है। जो धीरे-धीरे अंदर की ओर चलती हैं। इससे पठार ऊपर उठने लग जाते हैं। यूनिवर्सिटी के जियोसाइंटिस्ट थामस जरनान ने कहा कि वैज्ञानिकों को पता है कि महाद्वीपीय दरारें विशाल चट्टानों को उठाती हैं। जैसे कि पूर्वी अफ्रÞीकी रिफ्ट वैली और इथियोपियाई पठार को अलग करने वाली खाईं बनी थी। यह नई स्टडी नेचर जर्नल में प्रकाशित हुई है। इस अध्ययन के अनुसार भारत का पश्चिमी घाट भी इसी लहर की वजह से बना है। जरनान ने स्टडी के लिए धरती के आखिरी महाद्वीप के टूटने के बाद बनी खाईं और दीवार की जांच पड़ताल की। इनमें से एक दीवार भारत में है। जिसे पश्चिमी घाट कहते हैं। यह 2000 किलोमीटर लंबी है। ब्राजील में हाईलैंड प्लैट्यू है। यह 3000 किलोमीटर लंबी है। वहीं दक्षिण अफ्रीका में सेंट्रल प्लैट्यू है। यह 6000 किलोमीटर लंबा क्षेत्र है। इन पठारों के नीचे के हिस्से कई किलोमीटर ऊपर उठे हैं। जिसके पीछे मैंटल में चली लहर है। अध्ययन के अनुसार महाद्वीपों के ऊपर की ओर उठने की घटना आमतौर पर 1 से 10 करोड़ साल के अंतर पर बनती हैं। ऐसे में अन्य वैज्ञानिकों का मानना है कि इन सभी क्षेत्रों का निर्माण अलग-अलग हुआ है। जिन्हें अलग-अलग प्रक्रियाओं से होकर गुजरना पड़ा है। वैज्ञानिकों ने टोपोग्राफिक नक्शों से इन जगहों का मिलान किया तो पता चला कि इन महाद्वीपों के ऊपर उठने के समय अलग-अलग हैं। इसके पीछे शोधकर्ताओं ने तर्क दिया है कि ऊपर उठने वाले महाद्वीपों से मैंटल में काफी अंतर पाया गया है। धातुओं में अंतर होने की वजह से इनकी लहरों की तीव्रता भी अलग है। ये लहरें मैंटल में अंदर दौड़ती है। इनकी वजह से ही ये पठार ऊपर उठते हैं। यह प्रक्रिया बहुत धीमी गति से होती है। यानी पठार हर दस लाख साल में ये 15 से 20 किलोमीटर बढ़ते हैं। इनकी वजह से पठारों का आकार बदलता रहता है।
Rajneesh kumar tiwari