June 7, 2024
नई दिल्ली। रूस को दोस्ती के नाम पर चीन से बड़ा धोखा मिला है। चीन ने साइबेरिया 2 गैस पाइपलाइन डील के बदले ऐसी मांग कर डाली जो रूस को नागवार गुजरी मजबूरन रूस ने गैस पाइपलाइन डील को ठंडे बस्ते में डाल दिया। यूक्रेन युद्ध में फंसे रूस को चीनी ड्रैगन ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। बता दें कि मई महीने में हुए चुनाव में पुतिन को जीत मिली थी। राष्ट्रपति पद संभालने के तुरंत बाद नई उम्मीद लेकर पुतिन चीन की यात्रा पर गए। रूस को उम्मीद थी कि चीन के साथ उसकी साइबेरिया-2 गैस पाइपलाइन को लेकर बड़ी डील होगी और उसकी गैस कंपनी गजप्राम को लाइफलाइन मिल जाएगी। लेकिन यहां रूस को यहां धोखा मिला। चीन की सरकार ने रूस की मजबूरी का फायदा उठाते हुए गैस पाइपलाइन के बदले सस्ती दर पर गैस की मांग कर डाली। यही नहीं चीन ने यह भी कहा कि वह बहुत कम गैस खरीदेगा। चीन की इस अनुचित मांग के आगे रूस ने झुकने से इंकार कर दिया। जिससे अब यह डील लटक गई है। बता दें कि यूक्रेन युद्ध के बाद रूस और चीन बिना किसी लिमिट वाली दोस्ती का दावा करते हैं लेकिन ड्रैगन की इस नापाक चाल ने बड़े दावे की पोल खोल दी। इससे यह पता चल गया कि चीन की दोस्ती अपने स्वार्थ पर आधारित होती है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन के इस सख्त रुख से साफ हो गया है कि यूक्रेन युद्ध के बाद अब रूस आर्थिक सहायता के लिए बुरी तरह से चीन पर निर्भर हो गया है। चीन ने धौंस दिखाते हुए रूस से कहा है कि वह उसे लगभग उसी दर पर गैस की सप्लाई करे जिस दर पर वह अपने देश की जनता को गैस बेचते हैं। वहीं रूस की योजना है कि इस गैस पाइपलाइन से हर साल 50 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस की सप्लाई करे जबकि चीन थोड़ी मात्रा में ही गैस खरीदना चाहता है। चीन अगर यह डील रूस के साथ बाजार कीमत पर करता तो रूसी कंपनी गजप्राम की किस्मत बदल जाती। बता दें कि अभी यूरोप के गैस न खरीदने से कंपनी बहुत घाटे में चल रही है। रिपोर्ट के मुताबिक रूसी गैस कंपनी को पिछले साल करीब 7 अरब डॉलर का बड़ा घाटा हुआ है जो पिछले करीब दो दशक में सबसे ज्यादा है। यूरोपीय देश अब रूस नहीं बल्कि कतर जैसे देशों से गैस खरीद रहे हैं। जिससे रूस को यह घाटा हो रहा है। रूस को उम्मीद है कि गैस पाइपलाइन डील निकट भविष्य में हो सकती है। सूत्रों के हवाले से एक और बड़ी खबर भी सामने आई है। जिसके अनुसार पुतिन की पिछले महीने चीन की यात्रा के दौरान गैस डील को लेकर चल रहे गतिरोध की वजह से गजप्राम चीफ बीजिंग नहीं गए थे। इसके बदले में वह ईरान चले गए थे। बताया जा रहा है कि शी जिनपिंग के साथ मुलाकात के दौरान पुतिन ने तीन मुख्य अनुरोध किया था। इसमें एक गैस डील भी शामिल था। इसके अलावा पुतिन न चाहते हैं कि चीनी बैंकों की गतिविधियां रूस में बढ़ें। साथ ही चीन यूक्रेन की ओर से इस महीने आयोजित शांति सम्मेलन से दूर रहे। यहां चीन ने पुतिन की एक मांग मान ली। चीन ने ऐलान किया कि वह यूक्रेन के शांति सम्मेलन में शामिल नहीं होगा। शांति सम्मेलन पर जहां चीन ने रूस का साथ दे दिया है, वहीं इसके बदले में गैस डील में रूसी मजबूरी का फायदा उठाना चाहा। यही नहीं चीनी बैंक भी बहुत कम स्तर पर रूस को सहयोग कर रहे हैं।
Rajneesh kumar tiwari