September 17, 2024
नई दिल्ली। सौर मंडल में शनि ग्रह के आकर्षक छल्लों के बारे में तो आपने जरूर सुना और पढ़ा होगा। क्या आपने कभी ऐसा सोचा है कि शनि की तरह पृथ्वी के पास भी छल्ला रहा होगा। यह सुनकर आप हैरान हो रहे होंगे, लेकिन यह सच है। वैज्ञानिकों ने नए शोध में सबूत के साथ छल्लों को लेकर बड़ा खुलासा किया है। हमारी धरती अनेकों रहस्यों से भरी हुई है। धरती के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। वायु-जल और भोजन सब कुछ हमें धरती से ही मिलता है। बावजूद इसके, धरती की एक विशेषता से अभी तक हम अनभिज्ञ हैं, जिसका वैज्ञानिकों ने नए शोध में खुलासा किया है। अर्थ एंड प्लैनेटरी साइंस लेटर्स में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 46 करोड़ साल पहले, शनि की तरह ही पृथ्वी पर भी एस्टेरॉयड से बना एक रिंग सिस्टम था। जो लाखों वर्षों तक अस्तित्व में था और इसने पृथ्वी की जलवायु को भी प्रभावित किया था। मोनाश यूनिवर्सिटी के भूविज्ञानी एंड्रयू टॉमकिन्स के अनुसार, शोध में मैं और मेरे सहकर्मियों ने यह सबूत दिया है कि पृथ्वी के चारों ओर एक छल्ला रहा होगा। उन्होंने दावा किया कि लगभग 46 करोड़ साल पहले बहुत सारे उल्कापिंड पृथ्वी से टकराने लगे थे। जिसके कारण पृथ्वी पर बहुत से गड्ढे बने। शोध के दौरान इसी अवधि में उन्हें यूरोप, रूस और चीन में चूना पत्थर के भंडार भी मिले। जिनमें एक प्रकार के उल्कापिंड का बहुत ज्यादा मलबा पड़ा था। इस मलबे की जांच में संकेत मिलता है कि उस समय कई बार सुनामी आई रही होगी। जैसा कि असामान्य अव्यवस्थित तलछटी चट्टानों में देखा जा सकता है। उल्कापिंड के कारण बने 21 गड्ढों का वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया। जिसमें वे यह देखना चाहते थे कि क्या उन गड्ढों में कोई गौर करने वाली बात है। अतीत में पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों की गतिविधियों के मॉडल का उपयोग करके उन्होंने यह पता लगाया कि जब ये गड्ढे बने थे तो वे कहां थे। शोध में उन्होंने पाया कि सभी गड्ढे उन महाद्वीपों पर हैं जो इस अवधि में भूमध्य रेखा के करीब थे। जबकि उन्हें ऐसा कोई गड्ढा नहीं मिला जो ध्रुवों के करीब थे। अतः सभी गड्ढे भूमध्य रेखा के करीब बने थे। वैज्ञानिकों के अनुसार, सामान्य परिस्थितियों में पृथ्वी से टकराने वाले एस्टेरॉयड किसी भी अक्षांश पर टकरा सकते हैं, जैसा कि चंद्रमा, मंगल और बुध पर बने गड्ढों में दिखता है। इसलिए यह संभावना बहुत कम है कि इस अवधि के सभी 21 गड्ढे भूमध्य रेखा के करीब बने होंगे और उनका आपस में संबंध नहीं है। वैज्ञानिकों ने शोध के बाद सबूतों के लिए स्पष्टीकरण दिया कि एक बड़ा एस्टेरॉयड पृथ्वी के साथ टकराने के दौरान टूट गया होगा। लाखों वर्षों में क्षुद्रग्रह का मलबा पृथ्वी पर गिरा होगा और क्रेटर, तलछट और सुनामी की स्थिति बनी होगी। जिसके कारण पृथ्वी के चारों ओर बना रिंग सिस्टम खत्म हो गया होगा।
Arun kumar baranwal