दो दशक के सबसे शक्तिशाली तूफान के धरती से टकराने से वैज्ञानिकों में हड़कंप मच गया है। इस तूफान से सैटेलाइट और पावरग्रिड फेल होने का खतरा मंडराने लगा है। सूरज में हुई इस हलचल की तस्वीर को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अपने कैमरे में कैद किया है।
सैटेलाइट और पावर ग्रिड को हो सकती है क्षति
महा शक्तिशाली सौर तूफान के पृथ्वी से टकराने से अमेरिका से लेकर ब्रिटेन तक आसमान में चमकीला नजारा देखने को मिला। वैज्ञानिकों ने इस मैग्नेटिक तूफान को जी5 श्रेणी का बताया है। जिसे तूफान का सबसे चरम स्तर माना जाता है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी देते हुए कहा कि सूरज से आए इस भू-चुंबकीय तूफान से सैटेलाइट और पृथ्वी पर पावर ग्रिड को नुकसान पहुंच सकता है। इसके चलते कई इलाके अंधेरे में डूब सकते हैं। साथ ही कम्युनिकेशन बाधित होने का भी खतरा है।
स्वीडन में हो चुका है ब्लैक आउट
नासा की सोलर डायनेमिक्स आब्जर्वेटरी ने सूरज में हुए विस्फोट की तस्वीर खींची है। नासा ने वैज्ञानिकों ने बताया कि सूर्य ने एक तेज आग उत्सर्जित की है, जिसके चलते चुंबकीय क्षेत्रों के कई उत्सर्जन हुए हैं। बता दें कि इसके पहले अक्टूबर 2003 में इसी तरह का एक सौर तूफान आया था। जिससे स्वीडन में ब्लैक आउट हुआ था और दक्षिण अफ्रीका में बिजली के बुनियादी ढांचे को क्षति पहुंची थी।
आने वाले दिनों में हो सकती हैं और घटनाएं
नासा के वैज्ञानिकों ने आने वाले दिनों में इसी तरह के और सौर तूफान के पृथ्वी से टकराने की उम्मीद जताई है। उन्होंने बताया कि सौर चक्र के दौरान सूर्य शांत से तीव्र और सक्रिय अवधि में बदल जाता है। सूर्य में होने वाली इस हलचल के चरम पर पहुंचने पर सूर्य के चुंबकीय ध्रुव पलट जाते हैं। सूरज से निकलने वाली तेज आग एक मजबूत भू-चुंबकीय क्षेत्र तैयार करती है, जो पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल के हिस्से को बाधित करती है। इससे कम्युनिकेशन और जीपीएस पर तत्काल असर पड़ सकता है। इसके अलावा, अंतरिक्ष यान के इलेक्ट्रॉनिक्स को भी बाधा पहुंच सकती है।
अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर खतरा नहीं
नासा के वैज्ञानिकों ने इस सौर तूफान का गहन विश्लेषण किया। इसके बाद उन्होंने साफ किया कि इससे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर सवार चालक दल को कोई खतरा नहीं है। नासा ने बताया कि अंतरिक्ष स्टेशन पृथ्वी से लगभग 400 किलोमीटर ऊपर परिक्रमा करता है। फिर भी पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के करीब होने के चलते इसे कुछ सुरक्षा मिलती है। सौर ज्वाला को पृथ्वी तक पहुंचने में 8 मिनट लगते हैं, जिसका मतलब यह है कि वह बिना कोई नुकसान पहुंचाए वह पहले ही गुजर चुकी है।
Arun kumar baranwal