नई दिल्ली। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने बड़ी आफत आने का संकेत दिया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि सूर्य ने इतना भयानक रूप ले लिया है कि धरती पर कभी भी तबाही आ सकती है। इतना ही नहीं, सूर्य की इस भयावह स्थिति से संचार और नेविगेशन प्रणालियां भी ध्वस्त हो सकती हैं। नासा के वैज्ञानिकों की टीम ने सूर्य के सौर अधिकतम तक पहुंचने का खुलासा किया है। यह सौर अधिकतम 11 सालों के सौर चक्र का वह समय होता है, जब सूर्य पर गतिविधियां सबसे तेज हो जाती हैं। सौर चक्र के चरम पर आने पर सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र पलट जाता है। नासा के स्पेस वेदर प्रोग्राम के डायरेक्टर जेमी फेवर्स के अनुसार, सोलर मैक्सिमम के दौरान सूर्य की सतह पर नजर आने वाले धब्बों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से बढ़ोत्तरी हो जाती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, सौर गतिविधि में हो रही तेज बढ़ोतरी हमें अपने सबसे नजदीकी तारे के बारे में जानने का मौका तो देती है, लेकिन इसका असर धरती और पूरे सौरमंडल पर भी पड़ता है। बढ़ी हुई सौर गतिविधि अंतरिक्ष में उपग्रहों और अंतरिक्ष यात्रियों के साथ-साथ संचार और नेविगेशन प्रणालियों को भी प्रभावित कर सकती है। अगर ऐसा कुछ हुआ तो टेक्नोलॉजी पर निर्भर दुनिया के लिए बड़ी तबाही आ सकती है। वहीं, नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन में स्पेस वेदर आपरेशंस के डायरेक्टर एल्सेयेद तलअत ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि वैज्ञानिकों की इस घोषणा का मतलब यह नहीं कि उन्होंने सौर चक्र में सौर गतिविधि का चरम देख लिया है। सूर्य भले ही सौर अधिकतम के दौर में पहुंच गया हो, लेकिन सौर गतिविधि जिस महीने में चरम पर होगी, उसका पता महीनों या सालों तक नहीं चलेगा। नासा के वैज्ञानिकोें ने अध्ययन के बाद दावा किया है कि मई 2024 से ही सौर ज्वालाओं और कोरोनल मास इजेक्शन की संख्या बढ़ने लगी थी। जिसकी वजह से पिछले 500 सालों के सबसे चमकदार अरोरा देखने को मिले हैं। बता दें कि पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल की चमकदार घटना जो मुख्य रूप से दोनों गोलार्धोंके उच्च अक्षांशों में होती है, उसे अरोरा कहा जाता है। वैज्ञानिकों ने उम्मीद जताई है कि इस चक्र के सौर अधिकतम की गतिविधियां सालभर तक चलेंगी और फिर धीरे-धीरे मंद पड़ने लगेंगी।
Arun kumar baranwal