December 10, 2024
नई दिल्ली। नासा समेत दुनिया की तमाम अंतरिक्ष एजेंसियों ने सौर अधिकतम के शुरू होने की घोषणा की है। इस चक्र से सूर्य के धब्बों, सौर ज्वालाओं और कोरोनल मास इजेक्शन में बड़ा बदलाव होगा। इसका प्रभाव न केवल अंतरिक्ष के वातावरण पर पड़ेगा, बल्कि उपग्रहों, रेडियो संचार और विद्युत ग्रिड पर भी असर की आशंका है। सूर्य के 11 वर्षीय सौर चक्र के बारे में ज्यादातर लोगों को पता है। जिसमें सूर्य पर काले-काले धब्बे नजर आते हैं। लेकिन, सौर अधिकतम 12 वर्षीय सौर चक्र के सबसे विस्फोटक चरणों में से एक है। यह सनस्पॉट चक्र का वह समय होता है जिसमें सूर्य पर दिखाई देने वाले काले धब्बों की संख्या चरम पर पहुंच जाती है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इस बार का सौर अधिकतम धरती की परिक्रमा करने वाले उपग्रहों के लिए विनाशकारी हो सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, सौर अधिकतम के दौरान, सूर्य की सतह से शक्तिशाली सौर ज्वालाएं फटती हैं और पृथ्वी पर आवेशित कणों के बादल बन जाते हैं। जिससे तेज भू-चुंबकीय तूफान पैदा होता है जो आसमान में रंगीन आरोरा बनाते हैं। इसके अलावा, सूर्य में 22-वर्षीय ‘हेल चक्र’ भी होता है, जो तारे के चुंबकीय क्षेत्र को पलटने और फिर वापस पलटने में लगने वाला समय है। इस चक्र के दौरान, चुंबकत्व के बड़े बैंड सूर्य के ध्रुवों पर उभरते हैं। जो धीरे-धीरे सूर्य के भूमध्य रेखा की ओर पलायन करते हैं। सौर अधिकतम के दौरान सूर्य के दोनों गोलार्धों में एक नया बैंड बनता है जो अगले चक्र के अंत तक बना रहता है। अब बात करते हैं सूर्य के ‘बैटल जोन’ की, जिसका इस्तेमाल उस अवधि को दिखाने के लिए किया जाता है, जब दो हेल चक्र बैंड सूर्य के प्रत्येक गोलार्ध में ‘प्रभुत्व के लिए होड़' कर रहे होते हैं। यह सौर चक्र का वह चरण है जिस पर वैज्ञानिकों ने अभी ज्यादा अध्ययन नहीं किया है। इस चक्र के दौरान सूर्य पर विशाल कोरोनल होल बन जाते हैं। जिसकी संख्या पिछले सौर चक्र के बाद से तेजी से बढ़ी है। कोरोनल होल खतरनाक होते हैं क्योंकि वे सौर हवा के छोटे और अत्यधिक झोंके पैदा कर सकते हैं। बैटल जोन को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि यह सौर अधिकतम से भी ज्यादा खतरनाक है। इसका उन्होंने दो प्रमुख कारण बताया है। पहला यह कि सौर अधिकतम के बाद कई सालों तक सूर्य से निकलने वाली सौर ज्वालाओं की संख्या अधिक रहती है। दूसरा यह कि हेल चक्र बैंड के बीच चुंबकीय रस्साकशी से कोरोनल होल बनते हैं। बता दें कि दिसंबर 2023 में, 60 पृथ्वी से भी बड़े एक कोरोनल होल ने सौर हवा की बौछार की थी। वहीं, 2022 में, एक कोरोनल होल ने सौर हवा की इतनी बड़ी बौछार की थी, जिसने कुछ समय के लिए मंगल ग्रह के वायुमंडल को उड़ा दिया था।
Arun kumar baranwal