जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। सीमा पर अब दुश्मनों और आंतकियों पर तगड़ा प्रहार होगा। भारतीय सेना को ऐसे रोबोटिक डॉग्स मिले हैं जो थर्मल कैमरों और राडार से लैस होंगे। ये बर्फ, रेगिस्तान, ऊबड़-खाबड़ जमीन और ऊंची पहाड़ियों पर भी दुश्मन पर टूट पड़ेंगे। ये जवानों को किसी भी नुकसान से बचाते हुए दुश्मन के ठिकानों पर गोलीबारी करने में भी सक्षम है। भारत-पाक सीमा से सटे सरहदी जैसलमेर जिले में स्थित पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में भारतीय सेना की बैटल एक्स डिवीजन ने अभ्यास किया। इस अभ्यास में रोबोटिक डॉग को भी शामिल किया गया। रोबोटिक डॉग का सफल परीक्षण होने के बाद इनको जवानों के साथ देश की सीमाओं पर तैनात किया जाएगा। सैन्य सूत्रों के मुताबिक यह रोबोटिक डॉग किसी भी ऊंचे पहाड़ से लेकर पानी की गहराई तक जाकर मार करने में सक्षम है। इन्हें 10 किलोमीटर दूर बैठकर भी आपरेट किया जा सकता है। एक घंटे चार्ज करने के बाद ये लगातार 10 घंटे तक काम कर सकते हैं। सेना ने इस डॉग के साथ दुश्मन को खोजने और उसे खत्म करने का अभ्यास किया है। इसके अलावा ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सहायता और परिवहन में सुधार के लिए लॉजिस्टिक्स ड्रोन का परीक्षण किया जा रहा है। भारतीय सेना के रोबोटिक डॉग जरूरी सामान की सेना तक आपूर्ति भी कर सकते हैं। ये रोबोटिक डॉग्स सेंसर्स के माध्यम से काम करते हैं। इनमें एक रिमोट कंट्रोल यूनिट होती है, जिससे इनको मॉनिटर किया जाता है। इन रोबोटिक डॉग्स में हाई रिजोल्यूशन वाले कैमरे और सेंसर लगे होते हैं। जो छुपे हुए दुश्मन को भी खोज निकालेंगे। साथ आतंकी या दुश्मन कहां छिपा है इसका रियल टाइम डेटा भी उपलबध कराएंगे। इनके जरिए सेना दुश्मन की हरकतों पर नजर रखेगी। बता दें कि चीन ने पहले ही अपने सैन्य अभियानों में रोबोट डॉग्स को शामिल कर लिया है। उसकी युद्ध की तैयारियों को देखते हुए भारत यह बड़ा कदम उठाया है। बता दें कि अभ्यास 50 से भी ज्यादा सैनिकों ने हिस्सा लिया। यह अभ्यास 7 दिन तक किया गया। इसमें करीब 10 रोबोटिक डॉग्स को शामिल किया गया था। इस दौरान रोबोटिक डॉग ने दुश्मन को खोजने, हथियार ले जाने, कैमरे से दुश्मन का ठिकाना बताने सहित विषम परिस्थितियों में सैनिकों की मदद करने का ट्रायल दिया। यह ट्रॉयल बेहद सफल रहा। इस दौरान रोबोटिक डॉग्स ने जवानों को किसी भी नुकसान से बचाते हुए दुश्मन के ठिकानों पर गोलीबारी का टॉयल दिया। इसके चलाने के लिए वाई-फाई या लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन यानी एलटीई पर भी इस्तेमाल किया गया। इसके अलावा छोटी दूरी के लिए इसमें वाई-फाई का उपयोग भी किया गया। सैन्य सूत्रों का कहना है कि ये बर्फ, रेगिस्तान, ऊबड़-खाबड़ जमीन, ऊंची सीढ़ियों यहां तक कि पहाड़ी इलाकों में हर बाधा को पार करने में सक्षम है।
Rajneesh kumar tiwari