नई दिल्ली। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने एक अभूतपूर्व खोज की है। टेलीस्कोप ने अपने पिछले सभी रिकॉर्ड ध्वस्त करते हुए असंभव को भी संभव कर दिखाया है। टेलीस्कोप ने पहली बार ऐसे तारों को साफ-साफ देखने में सफलता पाई है, जिसे देखना वैज्ञानिक असंभव मानते थे। नासा के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने 6.5 बिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित तारों को साफ-साफ रिकॉर्ड किया है। दुनिया की सबसे शक्तिशाली मानी जानी वाली इस दूरबीन ने अंतरिक्ष में सुदूर स्थित एक आकाशगंगा में 44 अलग-अलग तारों का पता लगाया है। यह खोज को वैज्ञानिक इसलिए बेहद अहम मानते हैं, क्योंकि इससे पहले, इतनी दूर की आकाशगंगाओं में व्यक्तिगत तारों की पहचान करने को वे असंभव मानते थे। वैज्ञानिक पत्रिका नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में छपी रिपोर्ट के अनुसार, जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने जिस जगह पर तारों की पहचान की है वह अबेल 370 नामक आकाशगंगा में स्थित ‘ड्रैगन आर्क’ में मौजूद है। यह आर्क एक लंबी, लहराती रोशनी की पट्टी के रूप में दिखाई देती है। आर्क में यह प्रकाश दूर की आकाशगंगा से आता है। इसका प्रकाश लगभग 6.5 अरब वर्ष पहले पृथ्वी तक पहुंचना शुरू हुआ था। उस समय ब्रह्मांड अपनी वर्तमान आयु का लगभग आधा था। नासा के टेलीस्कोप ने आकाशगंगा में जिन 44 तारों की खोज की हैं, उनमें से अधिकांश लाल सुपरजाइंट हैं। यानी ऐसे तारे जो अपने जीवन के अंतिम चरणों से गुजर रहे हैं। ड्रैगन आर्क में इन तारों की मौजूदगी प्लैनेटरी लेंसिंग की वजह से है। यह ऐसी घटना है, जिसमें एक विशाल आकाशगंगा समूह, जैसे अबेल 370 अपनी विशाल गुरुत्वाकर्षण शक्ति के चलते दूर की आकाशगंगाओं के प्रकाश को मोड़ देता है, जिससे वे लहराती आर्क्स के रूप में दिखाई देती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, आमतौर पर इतनी दूर मौजूद आकाशगंगाएं हमें धुंधले, अस्पष्ट धब्बों के रूप में दिखाई देती हैं। क्योंकि सामान्य दूरबीनें उनके भीतर के तारों को अलग और साफ देखने में सक्षम नहीं होती हैं। लेकिन, जेम्स वेब टेलीस्कोप अब तक का सबसे एडवांस टेलीस्कोप है। इसके जरिये पहली बार इतनी दूर की चीजों को साफ-साफ देखा गया है। इस नई खोज से वैज्ञानिकों को डार्क मैटर और आकाशगंगाओं के विकास से जुड़ी अहम जानकारी मिलेगी। इन तारों का अध्ययन कर ब्रह्मांड के प्रारंभिक इतिहास और संरचना को समझने में मदद मिलेगी।
Arun kumar baranwal