जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत और दक्षिण कोरिया ने नेक्स्ट जेनरेशन तोप बनाने के लिए ऐतिहासिक समझौता किया है। इस सौदे के तहत भारतीय सेना के लिए अगली पीढ़ी के विनाशक तोपों का निर्माण किया जाएगा। चीन की सीमा पर इसकी तैनाती की जाएगी। इससे विस्तारवादी ड्रैगन कभी सीमा पर आंख उठाकर भी नहीं देख पाएगा।दक्षिण कोरियाई कंपनी हनवा एयरोस्पेस ने भारतीय कंपनी लार्सन एंड टुब्रो के साथ बड़ा समझौता किया है। यह 253 मिलियन डॉलर का अनुबंध है। इसके तहत भारतीय सेना के लिए 100 अतिरिक्त के9 वज्र-टी आटोमेटिक होवित्जर तोपों के लिए कंपोनेंट्स की आपूर्ति की जाएगी। भारत और दक्षिण कोरिया के बीच हुई इस रक्षा साझेदारी ने आधुनिक तोपखाने प्रणालियों के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है। यह सहयोग न सिर्फ भारतीय सेना की मारक क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि मेक इन इंडिया पहल के तहत स्वदेशी उत्पादन को भी अगले स्तर पर ले जाएगा। नई दिल्ली में दक्षिण कोरियाई दूतावास में इस सौदे पर दस्तखत किए गये हैं। यह समझौता दोनों कंपनियों के बीच चल रही साझेदारी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। 2017 के पिछले अनुबंध पर आधारित है। जिसमें 100 इकाइयों के शुरूआती बैच की डिलीवरी की गई थी। यह सौदा, जो भारत में स्थानीय उत्पादन को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत करता है। यह समझौता सियोल और नई दिल्ली के बीच गहरे होते रक्षा संबंधों को दिखाता है। इस सौदे के तहत तोपों का उत्पादन गुजरात के हजीरा में एलएंडटी के आर्मर्ड सिस्टम कॉम्प्लेक्स में किया जाएगा। के9 वज्र-टी, दक्षिण कोरिया की के9 थंडर का भारतीय वैरिएंट है। इसे भारतीय सेना की जरूरतों के मुताबिक ढाला गया है। यह 155 मिमी और 52-कैलिबर की आॅटोमेटिक होवित्जर तोप है। जो विस्तारित रेंज के गोला-बारूद के साथ 50 किलोमीटर तक की दूरी तक मार करने में सक्षम है। इसकी उच्च फायरिंग दर और गतिशीलता इसे आधुनिक युद्धक्षेत्र में अत्यंत प्रभावी बनाती है। बता दें कि भारतीय सेना ने फील्ड आर्टिलरी रेशनलाइजेशन प्लान के तहत, विभिन्न प्रकार की 155 मिमी तोपों की खरीद और विकास का लक्ष्य रखा है। इस योजना में करीब 3,000 से 3,600 तोपों की खरीद शामिल है। जिसमें टोव्ड, माउंटेड, स्वचालित पहिएदार और ट्रैक्ड होवित्जर शामिल हैं। के9 वज्र-टी की खरीद इस योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सेना की मारक क्षमता और गतिशीलता को बढ़ाने में मदद करेगी। यह तोप से हर 15 सेकंड में तीन राउंड की बर्स्ट फायरिंग करती है। इसके अलावा तीन मिनट में छह से आठ राउंड प्रति मिनट की अधिकतम फायरिंग दर प्राप्त कर सकती है। साथ ही 1,000 हॉर्सपावर के इंजन के साथ, यह 67 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम गति और 360 किमी की परिचालन रेंज प्रदान करती है। भारतीय सेना की योजना के अनुसार भविष्य में और 100 इकाइयों की खरीद शामिल हो सकती है। इसके अलावा, इन तोपों को उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात करने की भी योजना है। जिसके लिए कई और संशोधन और टेस्ट करने होंगे। इसे हिमालयी क्षेत्र में आॅपरेशन के लिए अनुकूलित किया जा रहा है। इससे यह तोप माइनस 30 डिग्री सेल्सियस में भी प्रभावी बनी रहेगी।
Rajneesh kumar tiwari