जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम अडानी पर ऐसे आरोप लगे हैं कि देश की राजनीति से लेकर शेयर मार्केट में भूचाल आ गया है। उन पर एक दो करोड़ नहीं बल्कि 2,200 करोड़ रुपए की घूस देने का आरोप है। उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी हो चुका है। इसको लेकर एक ओर जहां कांग्रेस मोदी सरकार पर हमलावर हो गई है वहीं शेयर मार्केट में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। भारत के सबसे बड़े उद्योगपति गौतम अडानी की अमेरिका में मुश्किलें बढ़ गई हैं। अमेरिका के सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन ने अडानी ग्रुप के प्रमुख पर बड़ी धोखाधड़ी और रिश्वत का आरोप लगाया है। एसईसी का आरोप है कि गौतम अडानी ने अमेरिकी निवेशकों को धोखा दियाा है। वहीं अमेरिका में उनके सहयोगियों और अडानी ग्रुप के कई अन्य सदस्यों पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। इस मामले में अमेरिकी अभियोजकों का कहना है कि गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी समेत सात अन्य लोगों ने 20 वर्षों में 2 बिलियन डॉलर का लाभ वाला, कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भ्रष्टटाचार किया। भारत की सबसे बड़ी सौर ऊर्जा संयंत्र परियोजना विकसित करने के लिए भारतीय सरकारी अधिकारियों को लगभग 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत दी गई। इस मामले में अडानी और अडानी ग्रीन एनर्जी के एक अन्य कार्यकारी, पूर्व सीईओ विनीत जैन पर भी भ्रष्टाचार का बड़ा आरोप लगा है। एसईसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि ऋणदाताओं और निवेशकों से अपने भ्रष्टाचार को छिपाकर 3 बिलियन डॉलर से अधिक का कर्ज और बॉन्ड जुटाए गए हैं। आरोपों में यह भी कहा गया कि षडयंत्र करने वालों ने गौतम अडानी को निजी तौर पर नुमरो ऊनो और द बिग मैन कोड नामों से संबोधित किया गया। वहीं सागर अडानी ने कथित तौर पर रिश्वत के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए सेलफोन का इस्तेमाल किया था। शिकायत में यह भी कहा गया कि ये लोग फेडरल सिक्योरिटीज कानूनों के एंटी-फ्रॉड प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे थे। इतना ही नहीं, न्यूयॉर्क के पूर्वी जिला अटॉर्नी आफिस ने गौतम अडानी, सागर अडानी और अडानी ग्रीन समेत एज्योर से जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक आरोप लगाए हैं। दूसरी ओर इस मामले में अडानी समूह की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। शेयर बाजार पर भी अडानी समूह पर लगे आरोपों का असर दिखाई दिया। आज सुबह बाजार खुलते ही धड़ाम हो गया। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का 30 शेयरों वाला इंडेक्स सेंसेक्स लाल निशान पर खुला। कुछ ही मिनटों में 400 अंकों को गोता लगाते हुए 77,110 के लेवल पर पहुंच गया। इसके साथ ही नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 124 अंक फिसलकर 23,383 के लेवल पर आ गया। बाजार में कारोबार बढ़ने के साथ ही ये गिरावट और भी तेज होती नजर आई। सेंसेक्स 600 अंक से ज्यादा फिसल गया। इस बीच गौतम अडानी के शेयरों में बड़ी गिरावट देखने को मिली। दूसरी ओर अडानी ग्रुप पर आरोपों को लेकर राजनीतिक घमासान भी तेज हो गया है। कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पूरे मामले को लेकर पीएम मोदी मोदी को घेरा है। कांग्रेस ने ट्वीट में लिखा कि आरोप है कि अमेरिका में कॉन्ट्रैक्ट पाने के लिए अडानी ने 2,200 करोड़ रुपए की घूस दी। कांग्रेस ने कहा कि जब इस मामले की जांच होने लगी तो जांच रोकने की साजिश भी रची गई। पार्टी ने कहा कि अब अमेरिका में अडानी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है। कांग्रेस ने एक्स पर ट्वीट में लिखा कि अजीब बात है है। कांंग्रेस लगातार अडानी और इससे जुड़े घपलों की जांच की बात कह रही है। वहीं मोदी सरकार पूरी ताकत से अडानी को बचाने में लगे हैं। वजह साफ है कि अडानी की जांच होगी तो हर कड़ी नरेंद्र मोदी से जुड़ेगी। अडानी के खिलाफ वारंट का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी ट्वीट किया है। उन्होंने संयुक्त संसदीय समिति की जांच की बात कही है। दूसरी ओर देखा जाए तो अमेरिका के सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन और कांग्रेस के आरोपों पर संदेह जरूर पैदा होता है। आरापों को देखा जाए तो अडानी पर आरोप है कि उन्होंने भारतीय अधिकारियों को घूस दी है अमेरिकी अधिकारियों को नहीं। जैसाकि कांग्रेस ने अपने आरोपों में कहा कि अडानी पीएम मोदी के बेहद करीबी हैं। अब सवाल उठता है कि जो व्यक्ति प्रधानमंत्री का बेहद करीबी होगा वह अधिकारियों को घूस क्यों देगा। अगर देगा भी तो छोटी-मोटी रकम वाला घूस देगा। बोलचाल की भाषा में इसे यूं समझा जा सकता है कि जो सत्ता के सर्वोच्च शिखर वाले व्यक्ति के साथ उठता-बैठता हो वह अधिकारियों को घास क्यों डालेगा। इन बातों की पुष्टि भाजपा के पलटवार से हो जाती है। जैसा कि भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों का तगड़ा जवाब दिया है। अमित मालवीय ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश के पोस्ट पर जवाब देते हुए लिखा कि प्रतिक्रिया देने से पहले पढ़ना हमेशा अच्छा होता है। आपने जिन दस्तावेजों का हवाला दिया है, उनमें लिखा है कि अभियोग में लगाए गए आरोप, तब तक आरोपी ही रहते हैं, जब तक वे साबित न हो जाएं। जब तक वे साबित न हो जाएं। आरोपों के साबित होने तक प्रतिवेदी को निर्दोष माना जाता है। भाजपा नेता ने लिखा कि संसद सत्र और डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति पद से ठीक पहले ये कार्रवाई होना कई सवाल खड़े करता है। कांग्रेस को भारत विरोधी जॉर्ज सोरोस और उनके गुटों के हाथों की कठपुतली नहीं बनना चाहिए।
Rajneesh kumar tiwari