नई दिल्ली। मानव जीवन के इतिहास में ऐसी घटना घटी है जिससे पूरी दुनिया भर के वैज्ञानिक ही नहीं बल्कि पर्यावरणविद टेंशन में आ गए हैं। दक्षिणी अमेरिकी देश वेनेजुएला ऐसा पहला देश बन चुका है जिसके सारे ग्लेशियर खत्म हो गए हैं। हैरानी वाली बात यह है कि वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि इस लिस्ट में कई अन्य देश भी शामिल होने वाले हैं। यानी ग्लेशियर खत्म ऐसा होने के बाद इन देशों के पर्यटक कभी भी बर्फबारी का आनंद नहीं ले पाएंगे।
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दक्षिणी अमेरिकी देश वेनेजुएला पर संकट
पूरी दुनिया में इन दिनो ग्लोबल वार्मिंग को लेकर चर्चाएं चल रही हैं। पेरिस समझौते के अनुसार सभी देश कार्बन उत्सर्जन को लेकर प्रयासरत हैं। भारत ने भी संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेल के दौरान कार्बन उत्सर्जन में कमी का भरोसा दिया है। इन सभी कवायदों के बीच दक्षिणी अमेरिकी देश वेनेजुएला में अब तक की सबसे खतरनाक प्राकृतिक घटना घटी है। इतिहास में पहली बार वेनेजुएला के सभी ग्लेशियर खत्म हो गए हैं। मई महीने में इस वेनेजुएला ने अपना आखिरी बचा हुआ ग्लेशियर भी खो दिया है। यह इतना सिकुड़ गया है कि जलवायु वैज्ञानिकों ने इसे बर्फ के मैदान के तौर पर क्लासीफाइड कर दिया है।
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सबसे खतरनाक प्राकृतिक घटना घटी
इस बारे में इंटरनेशनल क्रायोस्फीयर क्लाइमेट इनिशिएटिव यानी आईसीसीआई ने कहा कि वेनेजुएला के आखिरी और एकमात्र शेष ग्लेशियर का ना हम्बोल्ट याला है। यह बहुत छोटा हो गया था। ऐसे में इसे अब ग्लेशियर के बजाय आइस फील्ड के तौर पर वगीर्कृत किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार पिछली शताब्दी में वेनेजुएला ने कम से कम छह ग्लेशियर खो दिए हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक औसत तापमान बढ़ने के साथ बर्फ पिघल रही है, इससे दुनिया भर में समुद्र का स्तर भी बढ़ रहा है। डरहम विश्वविद्यालय के ग्लेशियोलॉजिस्ट कैरोलिन क्लासन का कहना है कि 2000 के दशक के बाद से वेनेजुएला के आखिरी ग्लेशियर पर ज्यादा बर्फ नहीं जमी है।
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वेनेजुएला के सभी ग्लेशियर खत्म
बीते साल दिसंबर में वेनेजुएला सरकार ने बची हुई बर्फ को थर्मल कंबल से ढकने की एक परियोजना शुरू की थी। सरकार ने उम्मीद जाहिर की थी कि बर्फ के पिघलने की प्रक्रिया रुक जाएगी। इस कदम की स्थानीय जलवायु वैज्ञानिकों ने आलोचना करते हुए कहा कि इससे आसपास के आवास प्लास्टिक के कणों से दूषित हो सकते हैं। प्रोफेसर मास्लिन ने कहा कि पहाड़ी ग्लेशियरों को गर्मी के महीनों में सूरज की रोशनी को प्रतिबिंबित करने और अपने आसपास की हवा को ठंडा रखने के लिए पर्याप्त बर्फ की आवश्यकता होती थी। उन्होंने कहा कि एक बार जब ग्लेशियर खत्म हो जाता है, तो सूरज की रोशनी जमीन को गर्म कर देती है। इसे बहुत अधिक गर्म कर देती है और बर्फ बनने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
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वेनेजुएला का आखिरी ग्लेशियर सिकुड़ा
मौसम शोधकर्ता मैक्सिमिलियानो हेरेरा ने कहा कि यह स्थिति सिर्फएक देश तक सीमित नहीं रहेगी। यह व्यापक रूप लेगा। अगले कई देश संवेदनशील स्थिति मेमं हैं। इन देशों पर भी ग्लेशियर मुक्त होने का खतरा मंडरा रहा है। इन देशों के नाम इंडोनेशिया, मैक्सिको और स्लोवेनिया हैं। जलवायु परिवर्तन के साथ गर्म क्षेत्र ऊपर और बाहर की ओर बढ़ रहे हैं। इससे ग्लेशियर पिघल रहे हैं और पूरी तरह से खत्म हो रहे हैं। मौसम शोधकर्ता डॉक्टर किरखम और डॉक्टर जैक्सन ने कहा कि नवीनतम अनुमानों से पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर 20 से 80 प्रतिशत ग्लेशियर इस सदी के आखिरी तक नष्ट हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि भले ही इस नुकसान का एक हिस्सा पहले ही तय हो चुका है लेकिन तेजी से हो रहे कार्बन उत्सर्जन कम करके इस नुकसान को कम किया जा सकता है। बता दें कि पहाड़ी इलाकों में गतिशील बर्फ की परत पाई जाती है। एक बड़े क्षेत्र में इस बर्फ की परत को ही ग्लेशियर या हिमनद कहा जाता है।
Rajneesh kumar tiwari