जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। मंगल ग्रह की सतह के नीचे छोटी गायें छिपी हो सकती हैं। आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के खगोल भौतिकी के प्रोफेसर क्रिस लिंटाट के दावों ने दुनिया में हलचल मचा दी है। उनके बयान से मंगल ग्रह पर जीवन की नई संभावनाएं बनती दिख रही हैं। मंगल ग्रह पर जीवन की खोज लंबे समय से वैज्ञानिकों के लिए एक महत्वपूर्ण और रोमांचक विषय रही है। लाल ग्रह को लेकर कई तरह के अध्ययन और शोध किए गए हैं। इस ग्रह पर अभी भी कई मिशन जारी है। बता दें कि मंगल की सतह पर स्थितियां बेहद कठोर और मानव जीवन के लिए प्रतिकूल मानी जाती हैं। इसका कारण यहां का कमजोर वायुमंडल, बहुत ठंडा तापमान और विकिरण है। इसके बावजूद वैज्ञानिकों का मानना है कि इस ग्रह की सतह के नीचे जीवन के संकेत हैं। कई एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि मंगल पर अतीत में कभी जीवन रहा होगा, जब उसकी परिस्थितियां अधिक अनुकूल रही होंगी। वैज्ञानिक अब मंगल की सतह के नीचे मीथेन गैस की खोज कर रहे हैं। इस दौरान उन्हें चौंकाने वाल बात पता चली कि यहां मिथेन के स्रोत हैं। इसको लेकर एक वैज्ञानिक ने चर्चा के दौरान विचित्र दावा किया है। जिसमें कहा गया कि मंगल की सतह के नीचे मीथेन गैस की उपस्थिति का कारण भूमिगत छोटी गायें हो सकती हैं। बता दें कि पृथ्वी पर मीथेन गैस के उत्सर्जन में मवेशियों का भारी योगदान है और यह बात साबित भी हो चुकी है। डेली स्टार ने इसको लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार कार्नेल यूनिवर्सिटी की खगोलशास्त्री लिसा कल्टेनेगर और आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के खगोल भौतिकी के प्रोफेसर क्रिस लिंटाट के बीच मंगल पर मीथेन होने के मुद्दे पर चर्चा हुई। इस दौरान लिंटाट ने कहा कि मंगल पर क्यूरियोसिटी रोवर द्वारा मीथेन की खोज की गई है। यह गैस संभवत: सतह के नीचे से आ रही है। उन्होंने कहा कि यह मंगल के नीचे मवेशी होने का प्रमाण है। जब कल्टेनेगर ने पूछा कि क्या मीथेन भूमिगत गायों से हो सकती है। इस पर लिंटाट ने कहा कि यहां छोटी गायें हो सकती हैं, जो मंगल की सतह के नीचे छिपी होंगी। लिंटाट ने भी इस बात को स्वीकार किया कि मीथेन के अन्य संभावित स्रोत हो सकते हैं। इनमं भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएं, ताप और रासायनिक प्रतिक्रियाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि मंगल पर जीवन की पुष्टि के लिए और अधिक सटीक अनुसंधान की आवश्यकता है।
Rajneesh kumar tiwari