जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। यूक्रेन दो हिस्सों में बंट सकता है। रूस और यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए ऐसा किया जा सकता है। दोनों देशों क बीच जंग खत्म करने के लिए सऊदी में अमेरिका-रूस की पंचायत होने जा रही है। ये वार्ता अमेरिकी नीति के लिए बेहद खास है। जिसमें रूस को अलग-थलग करने की बजाय वार्ता और सहमति की राह तलाशने की कोशिश की जा रही है। रूस-यूक्रेन युद्ध अब एक अहम मोड़ पर पहुंच चुका है। करीब 3 साल से जंग की आग में झुलस रहे इन दो देशों ने दुनिया भर में अपना असर दिखाया। अब इस युद्ध को खत्म करने के लिए एक बड़ी पहल देखी जा रही है। अमेरिका और रूस के शीर्ष अधिकारी सऊदी अरब में आज एक महत्वपूर्ण वार्ता के लिए सऊदी में बैठक करेंगे। ये वार्ता अमेरिकी नीति के लिए भी खास है। जिसमें अब रूस को अलग-थलग करने की बजाय वार्ता और सहमति की राह तलाशने की कोशिश की जा रही है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज और विशेष दूत स्टीव विटकॉफ रूसी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात करेंगे। बैठक में रूसी प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विदेश मामलों के सलाहकार यूरी उशाकोव शामिल होंगे। यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कड़ा रुख अपनाते हुए चेतावनी दी है कि यूक्रेन की भागीदारी के बिना किसी भी वार्ता के परिणाम उनके लिए अस्वीकार्य होंगे। जेलेंस्की ने साफ किया है कि अगर कीव को इस वार्ता में शामिल नहीं किया गया तो वार्ता व्यर्थ ही जाएगी। जेलेंस्की ने ये भी कहा कि अमेरिका और रूस के बीच में जो भी सहमति बनेगी वो हमें मान्य नहीं होगी। दूसरी ओर अमेरिका के रुख से बढ़ी चिंता के बाद अब फ्रांस के राष्ट्रपति ने यूक्रेन मुद्दे पर यूरोपियन नेताओं के सम्मेलन की मेजबानी करने का फैसला किया है। फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरोट ने कहा कि यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के अमेरिकी प्रयासों पर इमैनुएल मैक्रों यूरोपीय देशों के नेताओं की मेजबानी करेंगे। इन्हीं बातों को लेकर रूस-अमेरिका के बीच में होने वाली इस बैठक में सबसे अहम चर्चा यूरोपीय देशों के रोल को लेकर हो सकती है। बता दें कि यूक्रेन को समर्थन देने वालों में यूरोप के कई देश हैं। यही कारण है कि अब यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की का कहना है कि वो अमेरिका के कहने पर पुतिन से शांति वार्ता के लिए तभी मिलेंगे जब अमेरिका और यूरोपीय नेताओं में साझा योजना पर सहमति बन जाएगी। बैठक में दूसरा मुद्दा यूक्रेन के नाटो में रहने और रूस और यूक्रेन के कब्जा किए गए क्षेत्रों पर अधिकार को लेकर हो गरमा सकता है। जेलेंस्की ने साफ कर दिया है कि वे रूस के कब्जा किए गए क्षेत्रों को मान्यता नहीं देगा। वहीं, डोनबास के इलाके को लेकर भी माहौल गरमा सकता है। बता दें कि यूक्रेन के इस इलाके पर रूस का कब्जा है। इस इलाके को लौटाने को लेकर भी बातचीत हो सकती है। जेलेंस्की जिस तरह के तेवर दिखा रहे हैं उससे ये भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि अमेरिका रूस को खुली छूट दे सकता है। ये यूक्रेन के लिए बड़ा खतरा हो सकता है। बता दें कि यूक्रेन के कई इलाकों पर रूस का कब्जा है। अगर यूक्रेन ने अमेरिका-रूस की बात नहीं मानी तो यूक्रेन दो भाग में बंट सकता है। इस खतरे को लेकर यूक्रेन के कई अधिकारियों ने भी आशंका जताई है। यूक्रेनी सेना के एक बड़े अधिकारी ने कहा था कि पुतिन की योजना यूक्रेन को दो भागों में बांटने की है।
Rajneesh kumar tiwari