जनप्रवाद ब्यूरो नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर एक विशाल तलवार का वीडियो वायरल हो रहा है। इसके बारे में दावा किया गया है कि यह कुंभकर्ण की तलवार है। कुंभकर्ण लंका के राजा रावण का छोटा भाई था। जिसका वर्णन हिंदू महाकाव्य रामायण में मिलता है। कुम्भकर्ण रामायण के एक प्रमुख पात्र का नाम है। वह ऋषि व्रिश्रवा और राक्षसी कैकसी का पुत्र और लंका के राजा रावण का छोटा भाई था। कुम्भ अर्थात घड़ा और कर्ण अर्थात कान, बचपन से ही बड़े कान होने के कारण इसका नाम कुम्भकर्ण रखा गया था। अब श्रीलंका में इसी कुम्भकर्ण की तलवार मिलने का दावा किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे वीडियो में चार स्लाइड हैं। जिसमें एक विशाल तलवार जमीन पर रखी हुई है। यह किसी टनल के अंदर का हिस्सा दिख रहा है जिसके पास दो लोग प्रोटेक्टिव गियर पहने खड़े हैं। एक अन्य तस्वीर में तीन आदमी विशाल तलवार को देखते हुए दिखाई देते हैं। उनके चेहरे साफ नहीं हैं। हालांकि, वे तलवार के अनुपात में बहुत छोटे दिखाई मालूम पड़ते हैं। कुंभकर्ण की तलवार को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह के कमेंट किए जा रहे हैं। कोई इसे एआई का कमाल बता रहा है तो कोई इस सच बता रहा है। एक यूजर ने कमेंट ने लिखा है कि तलवार के पास मौजूद लोगों के चेहरे साफ नहीं हैं। इससे संदेह हो रहा है। ये सभी संकेत एआई इमेजरी की ओर इशारा करते हैं। यानी इन तस्वीरों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके बनाया गया था। वहीं दूसरे अन्य सोशल मीडिया यूजर ने लिखा कि यह तलवार साबित करती है रामायण के सभी पात्र काल्पनिक नहीं बल्कि वास्तविक थे। भगवान राम और रावण के बीच हुआ युद्ध पूर्णतया सच था। सोशल मीडिया एक्स पर सतीश नामक यूजर ने लिखा कि जय श्री राम आज नहीं तो कल मानेंगे। वहीं विनोद नामक यूजर ने लिखा कि श्रीलंका में मिली कुंभकर्ण की तलवार रामायण कोई मिथक नहीं है। बता दें कि रामायण का यह पात्र अपने नाम के कारण नहीं, बल्कि अपने कर्मों और कठोर तपस्या से मिले वरदान के कारण प्रसिद्ध हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार, कुंभकर्ण बचपन से ही बहुत बलवान था। अपने बड़े भाई की तरह तपस्वी भी था। साथ ही वह इतना भोजन करता था कि पूरे नगर का भोजन भी उसके लिए कम पड़ जाता था। पौराणिक कथा के अनुसार, कुंभकर्ण के पिता ऋषि विश्रवा ने अपने तीनों बेटों रावण, कुंभकर्ण और विभीषण को तपस्या करने के लिए कहा था। उनकी तपस्या से ब्रह्मा जी प्रसन्न हुए। जब वे दर्शन देने वाले थे तो देवताओं ने माता सरस्वती से प्रार्थना की जब कुंभकर्ण ब्रह्मा जी से वरदान मांगे तो आप उसकी जिव्हा पर विराजमान हो जाए। मां सरस्वती ने सबकी प्रार्थना को स्वीकार किया और कुंभकर्ण की जिव्हा पर विराजमान हो गईं। जिसके कारण कुंभकर्ण जैसे ही वर मांगने लगा तो उसके मुख से इंद्रासन की जगह निद्रासन निकला। ब्रह्मा जी ने उसकी इच्छा पूरी कर दी।
Rajneesh kumar tiwari