जनप्रवाद, ब्यूरो, नई दिल्ली। नासा के वैज्ञानिकों ने एक बार फिर एक ऐसी खोज की है जिसने हर किसी को हैरान कर दिया है। नासा के रोवर ने जेजेरो क्रेटर पर उतरने के बाद यह खुलासा किया है। जिसमें उसने पाया कि कभी मंगल ग्रह पर गर्म पानी बहता था। इस ग्रह पर पहले लोग रहा करते थे। नासा के वैज्ञानिकों ने बेहद चाैंकाने वाली रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट के अनुसार पता चला है कि नासा के रोवर पर्सिवियरेंस ने जेजेरो क्रेटर से चट्टान के नमूने एकत्र किए है। ये चट्टानें सिलिका से भरपूर पाई गई। ओपलीन सिलिका यानी ओपल, चैल्सेडोनी और क्वार्ट्ज से भरी ये चट्टानें तीन स्थानों से ली गई हैं। इसमें प्राचीन डेल्टा का किनारा, डेल्टा से जुड़ने वाली नदी का किनारा और क्रेटर रिम का किनारा शामिल है। जेजेरो क्रेटर पर कुल 6 चट्टानों का अध्ययन किया गया है। जिनमें से कुछ शुद्ध सिलिका थीं। यह पहली बार है कि क्वार्ट्ज के मंगल ग्रह पर मौजूद होने की पुष्टि हुई है। जिससे उम्मीद जगी है कि लाल ग्रह पर किसी समय जीवन रहा होगा। वैज्ञानिकों ने कहा कि ये खनिज हाइड्रोथर्मल गतिविधि के कारण पैदा हुए हैं। जिससे यह साबित होता है कि किसी समय मंगल ग्रह पर गर्म पानी बहता था। शोधकर्ताओं ने शोधपत्र में लिखा कि क्वार्ट्ज-प्रधान पत्थरों को पहली बार मंगल ग्रह की सतह पर स्पष्ट रूप से पाया गया है। ये दाने के आकार के हैं। ये पत्थर क्रिस्टलीयता क्रिस्टलीयता के आधार पर हाइड्रोथर्मल मूल का माना जाता है। वैज्ञानकों के अनुसार इससे यह प्रमाणित होता है कि जेजेरो क्रेटर और उसके आस-पास हाइड्रोथर्मल प्रक्रियाएं सक्रिय थीं। ये संभवतः जेजेरो क्रेटर-निर्माण प्रभाव से शुरू हुई थीं। मंगल ग्रह पर गर्म पानी मंगल ग्रह पर सिलिका का होना जीवन का संकेत भी देता है। यह नया शोध लाल ग्रह पर जीवन के निशान खोजने की उम्मीदों को बढ़ाता है। बता दें कि पृथ्वी पर हाइड्रोथर्मल सिस्टम या गर्म भूमिगत पानी विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म जीवन के रहने योग्य परिस्थितियों का निर्माण करते हैं। पेपर में कहा गया है कि ये सिलिका-समृद्ध चट्टाने पृथ्वी जैसे जीवन का बड़ा संकेत हैं। वैज्ञानकों के लिए विशेष रूप से ओपलिन सिलिका, अपने उच्च बायोसिग्नेचर संरक्षण क्षमता के कारण आशाजनक परिणाम भी दे सकती है। यानी यहां आने वाले समय में वैज्ञानिक मानव बस्ती की परिकल्पना को साकार रूप द सकते हैं। बता दें कि इससे पहले भी हुए एक शोध में वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह पर बहने वाली नदियों के संकेत पाए थे। जो सालों पहले सूख गई थीं। रोवर्स ने मंगल ग्रह पर सल्फर चट्टानें भी पाई हैं। पर्सिवियरेंस ने हाल ही में सैकड़ों मिलीमीटर आकार के गहरे भूरे रंग के गोले वाली एक चट्टान देखी थी। ये छोटे अंडों की तरह दिखते थे। वैज्ञानिक यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि एक अकेली चट्टान पर ऐसे अजीबोगरीब गोलाकार पत्थर कैसे आए। वैज्ञानिक ने इस पर जोर दिया है कि इस विषय पर अभी ज्यादा शोध की जरुरत है। बता दें कि दुनिया भर के देश मंगल पर रिसर्च कर रहे हैं। यह शोध इन वैज्ञानिकों के लिए भी आशा की किरण बनकर सामने आई है।
Rajneesh kumar tiwari