जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत जल्द ही उन्नत ड्रोन कैमरा प्रौद्योगिकी से लैस होगा। इसके लिए भारतीय रक्षा कंपनी ने इजरायल की कंपनी से करार किया है। इसे देश की रक्षा क्षमताओं में बड़ी छलांग के रूप में देखा जा रहा है। भारत की कंपनी स्वदेशी पहल के तहत बेहद कम कीमत पर निगरानी तकनीक और उपकरण की आपूर्ति करेगी। समय के साथ कदमताल करने को तैयार भारत अब आत्मनिर्भरता के मंत्र पर काम कर रहा है। इसी कड़ी में अब एक भारतीय कंपनी ने आधुनिक ड्रोन बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। यह ड्रोन उड़ान भर कर दुश्मन के इलाके में घुस कर उसे खत्म करेगा। इसमें आधुनिक सिस्टम लगाया जाएगा। आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह समझौता पारस डिफेंस एंड स्पेस टेक्नोलॉजीज और इजरायल के माइक्रोकॉन विजन के बीच हुआ है। यह कॉन्ट्रॉप और राफेल समूह का हिस्सा है। इस सहयोग से पारस डिफेंस सेना को उन्नत ड्रोन कैमरा प्रौद्योगिकी की काफी कम लागत पर आपूर्ति करेगी। बयान में कहा गया है कि भारतीय कंपनी इन ड्रोन कैमरों और खुफिया निगरानी व टोही यानी आईएसआर उपकरणों में स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल करेगी। इससे लागत कम होने के साथ-साथ इस दिशा में देश की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा। बयान में कहा गया है कि कंपनी दो मॉडल पेश करेगी। जिनकी सामान्य आयात कीमत लगभग 20 लाख रुपये और 40 लाख रुपये प्रति यूनिट है। पारस डिफेंस प्रत्येक मॉडल को 50-60 प्रतिशत कम कीमत पर तैयार करेगी। जिससे भारतीय रक्षा बलों और वाणिज्यिक उपयोग के लिए उन्नत निगरानी तकनीक अधिक सुलभ हो जाएगी। इसमें कहा गया है कि एआई-संचालित विश्लेषणात्मक क्षमता, हाई-रिजोल्यूशन इमेजिंग की तकनीक इसमें शामिल की जाएगी। वहीं थर्मल विजन जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों के एकीकरण से निगरानी क्षमताओं में जबरदस्त वृद्धि होगी। इससे रक्षा और नागरिक दोनों क्षेत्रों में परिचालन दक्षता में सुधार होगा। साथ ही यह ड्रोन निगरानी और टोही भूमिकाओं के साथ-साथ दुश्मन बलों पर हमलों को अंजाम देने में सक्षम होगा। यह विस्फोटक पेलोड ले जाने में सक्षम होगा। दुश्मन के रडार को चकमा देने के लिए इसमें जीपीएस नेविगेशन सिस्टम लगाया जाएगा। इसमें दुश्मन के इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम जैमिंग के लिए जवाबी उपाय भी हैं। भारतीय सेना इस समय अटैक ड्रोन की कमी से जूझ रही है। सेना को इस समय कई अटैक ड्रोन की जरूरत है। ऐसे में यह सौदा रक्षा क्षेत्र में मील का पत्थर होगा। बता दें कि आधुनिक समय में युद्ध की तकनीक में काफी ज्यादा बदलाव आया है। इस समय हमला करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जा रहा है। रूस यूक्रेन वॉर हो या इजरायल हिज्बुल्लाह की लड़ाई। सबसे ज्यादा हमले ड्रोन से ही किए गए थे। ड्रोन ने एसिमेट्रिक वॉरफेयर से दुश्मन देश की हेकड़ी निकाली जा सकती है। ड्रोन की मदद से सैकड़ों किलोमीटर दूर बैठे अपने दुश्मन को मार गिराया जा सकता है। इससे खतरा भी सबसे कम होता है। अगर स्वदेशी ड्रोन की बात करें तो भारत ने हाल के वर्षो में छोटे ड्रोन हथियार विकसित करने में सफलता हासिल की है। इसके बावजूद अभी भी सटीक हमलों को अंजाम देने वाले ड्रोन बनाना चुनौती बना हुआ है। भारत ने अमेरिका से एमक्यू 9 इ ड्रोन खरीदने को लेकर डील की है। यह डिफेंस डील 34,500 करोड़ रुपये की है। सरकार-से-सरकार समझौते के तहत हस्ताक्षरित इस सौदे में भारतीय सशस्त्र बलों को 31 लंबी दूरी के ड्रोन मिलेंगे। इससे आर्मी, एयरफोर्स और नेवी में शामिल किया जाएगा।
Rajneesh kumar tiwari