May 13, 2024
बमाको। अफ्रीकी देश माली में बर्फ के एक टुकड़े की कीमत रोटी और दूध से कहीं ज्यादा महंगी है। हालात इतने खराब हैं कि बर्फ के लिए लोग एक दूसरे से मारपीट करने से भी बाज नहीं आ रहे। यह सब रिकॉर्ड तोड़ गर्मी और अघोषित बिजली कटौती के कारण हो रहा है। यहां रात का भी तापमान 46 डिग्री पहुंच चुका है। भारत ही नहीं दुनिया के अन्य देश भी गर्मी से बेहाल हैं। पश्चिम अफ्रीकी देशों में रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ रही है। वहीं माली में गर्मी से हालात बदतर हो गए हैं। कई इलाकों में तापमान 48 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। हालत यह है कि एसी, कूलर और फ्रिज जैसी चीजें काम नहीं कर रही हैं। अस्पताल, डिहाइड्रेशन, उल्टी-दस्त इत्यादि के मरीजों से भर गए हैं। राजधानी बमाको में अघोषित बिजली कटौती ने लोगों का जीना हराम कर दिया है। लंबे समय तक फ्रिज के काम न करने के कारण भोजन को बचाए रखने की चुनौती पैदा हो गई है। लोग लू से बचने और खुद को ठंडा रखने के लिए बर्फ के टुकड़ों का सहारा ले रहे हैं। माली में इस समय अधिकतम तापमान 48 डिग्री सेल्सियस के ऊपर पहुंच चुका है।
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गर्मी ने लोगों का जीना किया मुहाल
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार बर्फ के कारण लोगों की रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाली चीजें सुरक्षित नहीं रह पा रही हैं। यहां बर्फ की कीमतों में हो रहे इजाफे ने जीवन को और भी ज्यादा मुश्किल बना दिया है। यहां कुछ जगहों पर बर्फ के एक छोटे बैग के लिए 500 फ्रैंक सीएफए यानी 140 रुपये चुकाने पड़ रहे हैं। यहां बर्फ की कीमत रोटी से अधिक हो गई है। बता दें कि यहां गर्मी का असर खाद्यान्न पदार्थों पर भी पड़ रहा है। माली में एक ब्रेड की कीमत लगभग 250 सीएफए यानी 34 रुपये है। यह भारत में 1 रुपये में मिल जाता है। इन आंकड़ों से यहां महंगाई का पता लगाया जा सकता है।
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बमाको समेत तमाम कई इलाके बिजली संकट
माली की राजधानी बमाको समेत तमाम कई इलाके बिजली संकट के साथ पानी की समस्या से भी जूझ रहे हैं। भीषण गर्मी की वजह से कई इलाकों में स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। लोगों को घरों में रहने की एडवाइजरी दी गई है। यहां के स्वास्थ्य पर परिवार जनकल्याण विभाग ने हीटवेव से बचने के लिए लोगों को आइसक्यूब का इस्तेमाल करने की सलाह दी है। यहां महिलाओं को अब हफ्ते में कुछ बार के बजाए हर दिन खाना बनाना पड़ रहा है क्योंकि बिजली कटौती के कारण बचा हुआ भोजन खराब हो जा रहा है। इससे रसोई का बजट तो बिगड़ रहा है। बता दें कि माली में ऊर्जा संकट करीब एक साल पहले शुरू हुआ था। माली की सरकारी बिजली कंपनी हाल के वर्षों में करोड़ों डॉलर का कर्ज जमा करने के बाद बढ़ती मांग को पूरा करने में विफल रही है। कई लोगों के पास बैक-अप जनरेटर नहीं हैं। इसके लिए मिलने वाला ईंधन काफी महंगा है।
Rajneesh kumar tiwari