नई दिल्ली। ईरान और इजरायल युद्ध के दौरान तकनीक पर बड़ी-बड़ी डींगें हांकने वाले चीन की पोल खुल गई। चीन निर्मित सभी हथियार फिसड्डी निकले। वहीं आधे हथियार मिसाइल तो लांचिंग के सयम ही फेल हो गए। इसका असर भी दिखने लगा है। एक ओर जहां चीन के हथियार निर्यात में भारी गिरावट दर्ज की गई वहीं भारत को बढ़त बनाने का मौका मिल गया।
मिसाइल हुई फुस्स
इजरायल पर दागे गए मिसाइल और ड्रोन हमलों की नाकामी ने ईरान को शर्मिंदा कर दिया है। साथ हीचीन में बने हथियारों की पोल भी खोल दी है। दुनिया को अब चीन की फिसड्डी तकनीक के बारे में पता चल गया है। वहीं दूसरी ओर चीन के दम पर विकसित की गई ईरान की मिसाइल इंडस्ट्री की काबिलियत पर भी सवाल उठने लगे हैं। बता दें कि चीन ने 1994-95 में ईरान को मिसाइल तकनीक में बेहतर बनाने के लिए कई तरह की सुविधा मुहैया कराई थी। चीन ने ईरान को तकनीक और साथ ही इससे जुड़े उपकरण भी मुहैया कराए थे। बता दें कि ईरान ने इजरायल पर 13 अप्रैल को बड़ा हमला किया था। इसमें 300 यूएवी और मिसाइलें इस्तेमाल की गई थी। उनमें से 99 फीसदी मिसाइलों को अमेरिका और ब्रिटेन के सहयोग से मार गिराईं। 120 में से 108 बैलिस्टिक मिसाइल थे, जिनको प्रभावहीन कर दिया गया। इसके साथ ही 30 क्रूज मिसाइलों को भी इजरायल द्वारा रोक दिया गया। ऐसे में ईरान की यह विफलता उन देशों के लिए चेतावनी है जो चीनी रक्षा आयात पर भरोसा करते हैं। खास बात यह है कि ये सभी हथियार और तकनीक चीन की सेना में शामिल हैं। जिस तरह ईरान के हमले को बेअसर किया गया, वह पूरी दुनिया ने देखा है। उनमें वे देश भी शामिल हैं, जो चीन से हथियार और मिलिट्री टेक्नोलॉजी खरीदने की सोच रहे थे। द स्ट्रैटेजिक स्टडीज इंस्टीट्यूट के अध्ययन की मानें तो पिछले कुछ सालों में चीन से ईरान ने हथियारों का आयात कम कर दिया है। इसकी सबसे बड़ी वजह चीनी हथियारों की गुणवत्ता में कमी है। ईरान ही नहीं चीनी सैन्य उपकरणों की कमियों को पाकिस्तान, नाइजीरिया, म्यांमार और थाईलैंड जैसे कई और देशों ने भी अनुभव किया है। ऐसे में अब ये देश भी अपनी सैन्य जरूरतों के लिए चीन पर निर्भरता कम कर रहे हैं। बता दें कि चीन अब तक जे-6 फाइटर्स, टी-5 टैंक, टी-59 टैंक, एफ-6 फाइटर्स, एंटी-टैंक गन आदि दूसरे देशों को बेची है। वहीं टी-69 टैंक, एचवाई-2 रेशमकीट एंटी-शिप मिसाइल, सी-801 एंटी-शिप मिसाइल, एम-7 कम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल भी सप्लाई करता है। एफ-7 फाइटर्स, हौडोंग मिसाइल बोट, सी-701 एंटी-शिप मिसाइल, और शहीद ड्रोन जैसे रक्षा उपकरण ईरान को सप्लाई करता रहा है। 10 मार्च को प्रकाशित एसआईपीआरआई की रिपोर्ट बताती है कि हाल ही कुछ सालों में चीन का मिलिट्री एक्सपोर्ट गिरा है। चीन ने प्रतिबंधों को दरकिनार कर उत्तरी कोरिया को हथियार दिए। रूस और ईरान को संवेदनशील हथियारों की तकनीक मुहैया कराई। चीन ने ईरान को 150 किलोमीटर की रेंज वाली सीएसएस-8 मिसाइलों की सप्लाई की। सभी हथियारों के निर्यात में उनका हिस्सा 75 फीसदी था। जबकि अमेरिका और फ्रांसीसी हथियारों का निर्यात बढ़ा। वहीं रूस, चीन और जर्मनी का निर्यात गिर गया है। अब जिन देशों का चीन से मोहभंग हो चुका है भारत द्वारा तैनात रक्षा अताशे उन देशों से संपर्क करने में लग गए हैं। इससे आने वाले दिनों में भारत के रक्षा कारोबार में तेजी से उछाल आएगा।
Rajneesh kumar tiwari