जनप्रवाद ब्यूरो नई दिल्ली। हमारे सौरमंडल में 8 नहीं 9 ग्रह हैं लेकिन यह ग्रह प्लेटो नहीं हैं। इस ग्रह के रहस्य को वैज्ञानिक खोज रहे हैं। बता दें कि सौरमंडल में पहले 9 ग्रह थे लेकिन प्लेटो के हटने के बाद इनकी संख्या 8 हो गई। वैज्ञानिकों ने अब एक बार फिर रहस्यमयी 9 वें ग्रह होने का अनुमान जताया है। पिछले एक दशक से यह बहस चल रही है कि सौरमंडल का 9वां ग्रह भी मौजूद है। दावा किया जाता है कि प्लैनेट 9 नाम का यह ग्रह नेप्च्यून के पास मौजूद काइपर बेल्ट में घूम रहा है। यह ग्रह पृथ्वी के द्रव्यमान से पांच गुना ज्यादा द्रव्यमान वाला सुपर अर्थ हो सकता है। यह हर 10 से 20 हजार साल में सूर्य की एक परिक्रमा करता है। इस ग्रह का अनुमान तब लगाया जब इसके आसपास भारी गुरूत्वाकर्षण बल देखा गया। इसके होने और न होने को लेकर तमाम तरह के दावे किए जा रहे हैं। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि 2025 से शुरू होने वाली सबसे बड़ी वेधशाला के जरिए नासा को इस सवाल का जवाब मिल जाएगा। बता दें कि अभी हमारे सौरमंडल में कुल 8 ग्रह हैं। साइंटिस्ट्स पहले प्लूटो को भी पूर्ण ग्रह मानते थे। कुछ सालों पहले उन्होंने उसे पूर्ण ग्रह न मानकर बौना ग्रह या डार्फ प्लैनेट की श्रेणी में कर दिया। सौरमंडल में नेप्च्यून ग्रह की बात करें तो यह बफीर्ले और अन्य चट्टानों सहित कई पिंडों का समूह है। जो एस्टेरॉयड पट्टी की तरह है। प्लूटो और उसके आकार के कई पिंड यहां पाए जाते हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि यहां नेप्च्यून के आकार का एक ग्रह मौजूद है। जो बाकी ग्रहों की तरह ही काइपर बेल्ट में सूर्य का चक्कर लगा रहा है। काइपर बेल्ट में कई वैज्ञानिकों को गुरुत्व संबंधी कुछ गड़बड़ियां देखने को मिली है। इसके आधार पर ही यह बहस शुरू हुई है कि यहां कोई अन्य रहस्यमयी बड़ा ग्रह मौजूद है। बता दें कि 2025 में नासा चिली में वेरा सी रूबिन वेधशाला या आबजर्वेटरी खुलने वाली है। इसमें दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल कैमरा लगेगा जो आकाश में सौरमंडल के पिडों का अवलोकन कर सकेगा। अगले साल ही अमेरिका के नेशनल साइंस फाउंडेशन एंड स्टैनफोर्ड- यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता इस वाइड एंगल टेलीस्कोप का उपयोग कर शोधकार्य शुरू कर देंगे। पिछले साल द एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल में एक लेख प्रकाशित हुआ था। इसके अध्ययन में शोधकर्ताओं प्लैनेट 9 के होने के अब तक के सबसे मजबूत प्रमाण हासिल करने का दावा किया। उनके मुताबिक यह ग्रह बफीर्ला है। इसकी जमीनी पथरीली पृथ्वी की तरह है। उनके मुताबिक इसकी सतह के अंदर महासागर भी हो सकते हैं। जापान की किनदाई यूनिवर्सिटी में प्लैनेटरी साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर ने भी इस बारे में अपना अनुमान जाहिर किया। पैट्रिक सोफिया लिकावा का मानना है कि उसकी धुरी दूसरे ग्रहों की तुलना में ज्यादा ही झुकी हो सकती है। दो अमेरिकी वैज्ञानिकों माइक ब्राउन और कोन्सटेंटिन बैटिजिन ने 2014 में प्लैनेट नाइन के होने की प्रबल संभावना का दावा किया था। उसके बाद उनके शोधों ने उस दावे को मजबूती से पेश किया है। उनके मुताबिक यह सुपर अर्थ पृथ्वी से करीब 5 से 7 गुना भारी होना चाहिए। इन दोनों के पहले भी कई सिद्धांत दिए जा चुके हैं कि काइपर बेल्ट में कुछ ऐसा है जो नेप्च्यून के पार पिंडों की कक्षा को प्रभावित कर रहा है।
Rajneesh kumar tiwari