भारत से ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप मिलने के बाद फिलीपींस की ताकत में जबरदस्त इजाफा हुआ है। फिलीपींस ने ब्रह्मोस को अपने देश के लिए गेमचेंजर बताया है। इस मिसाइल को फिलीपींस ने किसी अज्ञात जगह तैनात किया है जहां से वह उसे चीन के खिलाफ इस्तेमाल करेगा। जिसके चलते चीन बुरी तरह से तिलमिला गया है।
फिलीपींस की तटीय सुरक्षा होगी मजबूत
दक्षिण चीन सागर के स्प्रैटली द्वीपसमूह को लेकर फिलीपींस और चीन के बीच तनाव चरम पर है। ब्रह्मोस के फिलीपींस सेना के बेड़े में शामिल होने से दक्षिण चीन सागर में शक्ति संतुलन पूरी तरह से बदल गया है। फिलीपींस को मिली ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों की स्पीड 2.8 मैक और मारक क्षमता 290 किलोमीटर है। एक मैक ध्वनि की गति 332 मीटर प्रति सेकेंड होती है। फिलीपींस का मानना है कि यह मिसाइल चीन के साथ बढ़ते तनाव के बीच उसकी तटीय सुरक्षा को मजबूत करेगी।
फिलीपींस को ट्रेनिंग देगा भारत
बता दें कि दो साल पहले फिलीपींस ने भारत से ब्रह्मोस मिसाइलों के लिए 375 मिलियन डॉलर का सौदा किया था। जिसके तहत ब्रह्मोस की पहली खेप बीते शुक्रवार को मनीला के उत्तर में क्लार्क अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंची। जिसे फिलीपींस नौसैनिकों को सौंप दिया गया। ब्रह्मोस के हर एक सिस्टम में दो मिसाइल लॉन्चर, एक रडार और एक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर लगा है। इसके जरिए सबमरीन, शिप, एयक्राफ्ट से दो ब्रह्मोस मिसाइलें 10 सेकेंड के अंदर दुश्मन पर दागी जा सकती है। इसके अलावा भारत फिलीपींस को मिसाइल आपरेट करने की भी ट्रेनिंग देगा।
चीन के बढ़ते प्रभाव पर लगेगी लगाम
फिलीपींस की चीन के साथ हाल ही में दक्षिण चीन सागर में कई बार झड़प हुई है। ब्रह्मोस मिसाइलों से समुद्र में फिलीपींस की ताकत बढ़ेगी और समुद्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को भी रोका जा सकेगा। ब्रह्मोस को भारतीय वायुसेना के बोइंग सी-17 ग्लोबमास्टर के जरिए फिलीपींस पहुंचाया गया। भारत ने यह आपूर्ति तब की है, जब वह खुद लंबे समय से चीन की आक्रामकता का सामना कर रहा है। इतना ही नहीं, भारत हाल के दिनों में लाल सागर संकट के दौरान एक वैश्विक सुरक्षा प्रदाता के तौर पर नजर आया है। भारतीय नौसेना ने दर्जनों विदेशी जहाजों और सैकड़ों नौसैनिकों की जान बचाई है।
रूस ने साधी चुप्पी
हाल के दिनों में देखा गया है कि चीन और रूस एक दूसरे के तेजी से करीब आए हैं। इसके बावजूद भारत ने चीन के दुश्मन फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल बेची है, इस मिसाइल में रूस के 85 प्रतिशत उपकरण लगे हुए हैं। इसके बावजूद रूस चुप है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि यह सौदा चीन के खिलाफ होने के बावजूद रूस, भारत के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों को किसी भी कीमत पर खत्म नहीं करना चाहेगा। यही कारण है कि भारत हर उस संभावित खरीदार के साथ बातचीत कर रहा है, जो ब्रह्मोस मिसाइल को खरीद सकता है।
Arun kumar baranwal