जन प्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। बेंगलुरु में चल रहे एयरोस्पेस और रक्षा प्रदर्शनी ने कई रिकॉर्ड बनाए। पहली बार एक साथ अमेरिका और रूस के पांचवी पीढ़ी के विमानों ने एक साथ शक्ति प्रदर्शन किया। यह पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान को साफ संदेश है कि भारत अगर उसके पास पांचवी पीढ़ी का विमान है तो भारत जल्द ही इसे हासिल कर लेगा। केंद्रीय रक्षा मंत्री ने बेंगलुरु स्थित येलहांका वायुसेना अड्डे में एयरो इंडिया के 15वें संस्करण का उद्घाटन किया। इसे एशिया की सबसे बड़ी एयरोस्पेस और रक्षा प्रदर्शनी माना जाता है। इस पांच दिवसीय कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारत की हवाई ताकत और स्वदेशी नवाचारों को प्रदर्शित करना है। जिससे देश की आत्मनिर्भरता और रक्षा उत्पादन में वृद्धि हो सके। रनवे टू ए बिलियन आपर्च्युनिटीज के विषय के साथ आयोजित इस कार्यक्रम में भारत की हवाई शक्ति के साथ-साथ वैश्विक एयरोस्पेस कंपनियों के नवीनतम उत्पादों का भी प्रदर्शन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम देश को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को बल देने के साथ-साथ स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा। एयरो इंडिया कार्यक्रम अब तक का सबसे बड़ा है। इसका विस्तार 42,000 वर्ग मीटर से अधिक किया गया है। इस कार्यक्रम में 150 से अधिक विदेशी कंपनियों सहित कुल 900 से अधिक प्रदर्शक हिस्सा ले रहे हैं। एयरो इंडिया प्रदर्शनी में पहली बार दुनिया के सबसे उन्नत पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान- रूसी सुखोई एसयू-57 भाग ले रहा है। इसके अलावा प्रदर्शनी में पहली बार दुनिया के सबसे उन्नत पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान अमेरिकी एफ-35 लाइटनिंग 2- भाग ले रहा है। बता दें कि भारत के पास अभी तक अपना कोई 5वें जेनरेशन का फाइटर जेट नहीं है। भारत अभी 5वें जेनरेशन के एचएएल उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान पर काम कर रहा है। जनवरी 2025 में, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की प्रशासन ने भारत से अमेरिकी सैन्य प्रौद्योगिकी की खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि करने का आग्रह किया था। वे रक्षा बाजार में भारत के रूस के प्रभुत्व कम करना चाहते हैं। वाशिंगटन ने प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए अपने फाइटर जेट को भारत भेजा है। हाल के दिनों को देखे तो, भारत ने रूस से अधिक मात्रा में सैन्य उपकरण खरीदे हैं। दोनों देश अपने फाइटर जेट की ताकत को दिखा कर भारत को बेचना चाहते हैं। भारत एयर फोर्स के लिए इनको खरीदने से इनकी खूबियां जानना चाहता है। एसयू-57 रूस की कंपनी ने विकसित किया है। यह हवा से हवा और हवा से जमीन पर मार कर सकने में सक्षम है। वहीं एफ-35 को अमेरिका ने निर्मित किया है। यह एक मल्टीरोल स्टील्थ फाइटर जेट है। एसयू-57 की डिजाइनिंग पूरी तरह स्टील्थ के लिए नहीं है। इसकी स्टील्थ तकनीक एफ-22 और एफ-35 की तुलना में कम प्रभावी है। वहीं एफ-35 की स्टील्थ तकनीक हाई क्वालिटी की है। यह दुश्मन के रडार में आसानी से नहीं आता है। एसयू -57 में दमदार इंजन लगा है। जो इसे 2.25 मैक की रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम बनाता है। वहीं एफ35 में प्रैट एंड व्हिटनी इंजन लगा हुआ है। इसकी मदद से यह 1.6 मैक की अधिकतम रफ्तार से उड़ान भर सकता है। रूसी एसयू-57 में 12 हथियार पेलोड पॉइंट्स हैं। इनमें हाइपरसोनिक मिसाइलें, हवा से हवा और हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें तैनात हो सकती हैं। वहीं एफ-35 में मात्र 6 इंटरनल और एक्सटर्नल वेपन स्टेशन्स हैं। यह हवा से हवा और हवा से सतह पर मार करने वाले हथियार ले जाने में सक्षम हैं। एसयू-57 में थ्रस्ट-वेक्टरिंग टेक्नोलॉजी है। जिससे यह हडॉगफाइट में में बेहद खतरनाक साबित होता है। वहीं एफ-35 भी बेहद एडवांस्ड है। इसे मल्टी-रोल के लिए डिजाइन किया गया है। अमेरिका और रूस दोनों चाहते हैं कि उनकी भारत से डील हो जाए. क्योंकि भारत के साथ कोई भी डील अरबों डॉलर की होगी। रूस ने इच्छा जताई है कि वह भारत के साथ स्टील्थ फाइटर जेट का संयुक्त उत्पादन करने को तैयार है। इसके अलावा रूस को विश्वास है कि भारत के साथ उसकी डील हो जाएगी। उसका पांचवीं पीढ़ी का सुखोई-57 विमान अमेरिका के एफ-35 की तुलना में सस्ता है। एक सुखोई-57 की कीमत 35 से 50 मिलियन डॉलर यानी लगभग 4.5 अरब रुपए है। वहीं अमेरिका का एफ-35 की कीमत 80-110 मिलियन डॉलर के बीच है।
Rajneesh kumar tiwari