जनप्रवाद ब्यूरो, नई दिल्ली। अभी तक आपने एस्टेरॉयड को लेकर कई तरह की बातेंं सुनी होंगी। अब वैज्ञानिकों ने जो दावा किया है वह बेहद सनसनीखेज है। वैज्ञानिकों के अनुसार एस्टेरॉयड के कारण दुनियाभर में औसतन 15 फीसदी बारिश कम हो जाएगी। वहीं वायुमंडल में धूल का गुबार छा जाएगा। अक्सर हम यह खबरें देखते और सुनते आ रहे हैं कि अंतरिक्ष से उल्कापिंड या एस्टेरॉयड आ रहा है। वैज्ञानिक यह भी चेतावनी देते हैं कि धरती की ओर आ रहा एस्टेरॉयड खतरनाक हो सकता है। अब वैज्ञानिकों ने जो चेतावनी दी है वह बेहद चौंकाने वाली है। शोधकर्ताओं का कहना है कि औसतन मध्यम आकार के एस्टेरॉयड लगभग हर 100 से 200 हजार साल में पृथ्वी से टकराते हैं। शोधकर्ताओं ने इन एस्टेरॉयड के एक मॉडल का अध्ययन किया। जिसके जरिये यह समझा गया कि पृथ्वी की जलवायु प्रणाली और महासागर में स्थलीय पौधों व प्लवक पर एस्टेरॉयड के टकराने का क्या प्रभाव पड़ता है। भविष्य में मध्यम आकार यानी लगभग 500 मीटर के एस्टेरॉयड यानी क्षुद्रग्रह के टकराने के कारण पृथ्वी पर जलवायु और जीवन में बदलाव आ सकता है। टकराव के बाद ऊपरी वायुमंडल में कई सौ लाख टन धूल के बड़े गुबार छा जाएंगे। 10 से 40 करोड़ टन तक की धूल छा जाने के बाद तीन के चार सालों में जलवायु, वायुमंडलीय रसायन विज्ञान और वैश्विक प्रकाश संश्लेषण में भारी गड़बड़ी हो सकती है। दक्षिण कोरिया के बुसान राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के आईबीएस सेंटर फॉर क्लाइमेट फिजिक्स आईसीसीपी के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया है। अध्ययन के नतीजे साइंस एडवांस जर्नल में प्रकाशित हुए हैं। शोधकर्ताआसें का कहना है कि एस्टेरॉयड के टकराने से उठी धूल के कारण सूर्य के प्रकाश में कमी से पृथ्वी की वैश्विक सतह चार डिग्री सेल्सियस तक ठंडी हो जाएगी। दुनियाभर में बारिश में औसतन 15 फीसदी की कमी आएगी। करीब 32 फीसदी ओजोन कम हो जाएगी। इससे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को कई तरह से नुकसान होगा। नए शोध के अनुसार पृथ्वी के निकट स्थित क्षुद्रग्रह बेन्नू 157 वर्षों में पृथ्वी से टकरा सकता है। यह टक्कर पृथ्वी पर वैश्विक प्रभावी सर्दी की शुरूआत कर सकता है। शोध में लिखा है कि अगर पृथ्वी के निकट स्थित क्षुद्रग्रह बेन्नू भविष्य में पृथ्वी से टकराता है, तो इससे हमारे ग्रह को वैश्विक स्तर पर काफी नुकसान पहुंच सकता है। भले ही यह डायनासोर को खत्म करने वाले क्षुद्रग्रह के आकार का एक अंश मात्र है। बता दें कि अभी हाल ही में एक खबर आई थी जिसके अनुसार नासा मिशन द्वारा पृथ्वी पर नमूनों लाए गए थे। इसके अध्ययनों के अनुसार क्षुद्रग्रह बेन्नू में जीवन की संभावना है। बेन्नू एक मध्यम आकार की अंतरिक्ष चट्टान है। जिसका व्यास लगभग 1,640 फीट यानी 500 मीटर है। 66 मिलियन वर्ष पहले पृथ्वी से टकराने वाले और डायनासोर के विलुप्त होने का कारण बनने वाले क्षुद्रग्रह का व्यास लगभग 6.2 मील यानी 10 किलोमीटर था। यह हमारे ग्रह से टकराने वाला अंतिम ज्ञात बड़ा क्षुद्रग्रह था। बेन्नू के टकराव को लेकर अनुमान है कि सबसे पहला प्रभाव एक शक्तिशाली गड्ढा बना देगा। टक्कर वाले स्थल के पास हवा में मलबा फैल जाएगा। टक्कर से एक शक्तिशाली शॉक वेव और भूकंप भी उत्पन्न होंगे। प्रभाव से निकलने वाले एरोसोल और गैसों की बड़ी मात्रा वायुमंडल में ऊपर फैल जाएगी। जिससे पृथ्वी की जलवायु में परिवर्तन हो सकता है, जिसका प्रभाव लंबे समय तक बना रहेगा।
Rajneesh kumar tiwari