नई दिल्ली। डायनासोर धरती पर रहने वाले विशालकाय और रहस्यमय प्राणी थे। जिनके विषय में जानने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक वर्षों से शोध कर रहे हैं। इसी कड़ी में शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन में सैकड़ों डायनासोर के फुट प्रिंट का पता लगाया है। इससे डायनासोर के बारे में नई जानकारी सामने आने की उम्मीद बढ़ गई है। डायनासोर 230 मिलियन वर्ष पहले त्रैसिक काल में उत्पन्न हुए और 65 मिलियन वर्ष पहले एक बड़े विनाश के कारण समाप्त हो गए थे। उनका आकार और रूप अत्यंत विविध था। कुछ डायनासोर इतने बड़े थे कि उनका आकार एक छोटे मकान के बराबर था, जबकि कुछ बहुत छोटे होते थे। इनकी जीवनशैली भी अलग-अलग थी, कुछ शाकाहारी थे, जबकि कुछ मांसाहारी थे। सैकड़ों मिलियन वर्षों तक ये प्राणी अस्तित्व में थे, लेकिन अब उनका केवल जीवाश्म ही बचा है। इंग्लैंड के आॅक्सफोर्डशायर की खदानों से शोधकर्ताओं की टीम ने डायनासोर के पैरों के निशान खोज निकाले हैं। उन्होंने 5 ऐसे रास्तों का पता लगाया है कि जिससे कभी डायनासोर आते-जाते थे। इस रास्ते को ‘डायनासोर हाईवे’ कहा जा रहा है। शोध में उन्हें चार ऐसा ट्रैक मिला है जिनपर कभी शाकाहारी सॉरोपॉड डायनासोर चला करते थे। जबकि, पांचवां ट्रैक मांसाहारी डायनासोर मेगालोसोरस का है, जिसके फुट प्रिंट में तीन पंजे शामिल हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह फुट प्रिंट करीब 166 करोड़ साल पुराने हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, सबसे पहले वहां के स्थानीय लोगों को काम करने के दौरान जमीन पर अलग तरह के उभार महसूस हुए। फिर इसकी जांच के लिए वैज्ञानिकों की टीम को वहां बुलाया गया। इसके बाद ऑक्सफोर्ड और बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के 100 से ज्यादा सदस्यों वाली टीम ने एक हफ्ते तक पूरे इलाके में खुदाई की। जहां टीम को एक-एक करके डायनासोर के करीब 200 फुट प्रिंट मिले। इसके बाद शोधकर्ताओं ने पूरे इलाके की वीडियोग्राफी कराई और हजारों फोटो भी खींचे। जिसका बाद में गहनता से अध्ययन किया जाएगा। शोधकर्ताओं ने डायनासोर के मिले फुट प्रिंट को बेहद अहम माना है। उनका कहना है कि इसके जरिए इन विशालकाय जीवों के बारे में अहम जानकारी जुटाई जा सकती है। इससे यह पता लगाया जा सकता है कि डायनासोर कैसे चलते थे और कितनी स्पीड तक दौड़ सकते थे। साथ ही उनका साइज कितना बड़ा था और उनके बीच तालमेल कैसा था। आॅक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक डंकन मरडॉक के अनुसार, रिसर्च में साफ दिख रहा है कि डायनासोर के पैरों के मिट्टी में धंसने और फिर निकलने से मिट्टी के नेचर में किस तरह से बदलाव हुआ होगा।
Arun kumar baranwal