नई दिल्ली। चांद पर इंसान की बस्ती अब एक कल्पना मात्र नहीं रह गई है। अंतरिक्ष में हो रही लगातार खोज और चंद्रमा पर भेजे गए तमाम देशों के मिशनों ने इस कल्पना को प्रबल बना दिया है। नासा के वैज्ञानिकों ने इस दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए चंद्रमा तक गैस पाइपलाइन बिछाने का फैसला किया है। चांद पर इंसानों को बसाने के लिए दुनिया के कई देश वर्षों से प्रयास कर रहे हैं। इस दिशा में कामयाबी हासिल करने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा एक नया मून मिशन शुरू करने जा रहा है। इस मिशन के तहत नासा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर आक्सीजन गैस पाइपलाइन बिछाएगा। वैज्ञानिकों ने इस मिशन का नाम आर्टेमिस रखा है। हालांकि, यह मिशन तकनीकी, आर्थिक और पर्यावरणीय चुनौतियों से भरा हुआ है, जिनका समाधान खोजने पर ही यह सपना साकार होगा। रिपोर्ट के अनुसार, नासा के वैज्ञानिक आर्टेमिस मिशन के तहत लूनर साउथ पोल आक्सीजन पाइपलाइन बिछाएंगे। इसके लिए नासा चांद की रेगोलिथ से आक्सीजन और चांद की बर्फ से पानी निकालने की तकनीक विकसित करेगा। रेगोलिथ चंद्रमा की सतह की ऊपरी परत को संदर्भित करता है, जिसमें धूल और मलबे होते हैं जो सौर हवा के कारण होने वाले क्षरण से उत्पन्न होते हैं। इस योजना पर निवेश के बाद नासा गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट पर पैसा लगाएगा। नासा के वैज्ञानिकों ने 2026 तक गैस पाइपलाइन मिशन को पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इस मिशन के लिए वैज्ञानिकों ने आक्सीजन को बोतलबंद करने और तरल रूप में स्टॉक करने का काम शुरू कर दिया है। इसके बाद योजनाबद्ध तरीके से इन कंटेनरों को चंद्रमा की सतह पर ले जाया जाएगा। हालांकि, ऐसा करना बहुत महंगा साबित होगा, लेकिन अगर वैज्ञानिक ऐसा करने में कामयाब हुए तो चंद्रमा पर इंसानों की बस्ती बसाने की दिशा में यह मील का पत्थर साबित होगा। रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिक 5 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाने की योजना पर काम कर रहे हैं। मिशन के तहत नासा चंद्रमा की रेगोलिथ से पैदा हुई धातुओं का उपयोग करके रोबोट बनाएगा। फिर लगभग 2 किलोग्राम प्रति घंटा की दर से आॅक्सीजन प्रवाहित की जाएगी। इससे चंद्रमा पर रहने के लिए आवश्यक न्यूनतम बिजली की आपूर्ति भी संभव होगी। इसकी मदद से इंसान बिना किसी समस्या के करीब 10 साल तक चंद्रमा पर रह सकेगा। यदि मिशन सफल रहा तो वह दिन दूर नहीं होगा जब इंसानों का चांद पर बसने का सपना हो जाएगा।
Arun kumar baranwal