नई दिल्ली। दुनियाभर के देशों में चांद पर पहुंचने की होड़ लगी हुई है। यह बात अलग है कि अभी तक सिर्फचार देशों को ही इसमें कामयाबी मिल पाई है। इन देशों में अमेरिका, रूस, चीन और भारत शामिल हैं। अब भारत और रूस चांद पर ऐसा प्लांट लगाने जा रहे हैं जिससे अमेरिका और चीन की टेंशन बढ़ गई है। रूस के वैज्ञानिक चांद पर एक महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम कर रहे हैं। रूस की कोशिश है कि चांद पर एक परमाणु ऊर्जा संयत्र का निर्माण किया जाए। अब इस परियोजना में भारत ने रूस के साथ जुड़ने में दिलचस्पी दिखाई है। परियोजना को रूस के परमाणु निगम, रोसाटॉम के नेतृत्व में पूरा किया जाएगा। जिसका लक्ष्य एक छोटा परमाणु ऊर्जा प्लांट बनाना है जो बेस के लिए लगभग आधा मेगावाट की बिजली पैदा करने में सक्षम हो। रोसाटॉम के प्रमुख एलेक्सी लिकचेव के अनुसार, भारत के अलावा चीन भी चांद पर ऊर्जा स्रोत बनाने के लिए उत्सुक है। ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में लिकचेव ने कहा कि हमें चंद्रमा पर आधे मेगावाट तक की क्षमता वाला परमाणु ऊर्जा संयंत्र का विकल्प बनाने को कहा गया है। हमारी इस परियोजना में चीनी और भारतीय साझेदारों को बहुत रुचि है। हम कई अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष परियोजनाओं की नींव रखने की कोशिश कर रहे हैं। रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने इसी साल मई में घोषणा की थी कि चांद पर परमाणु ऊर्जा संयंत्र बनाने का काम चल रहा है। परियोजना को साल 2036 तक पूरा करने का लक्ष्य है। एजेंसी का कहना है कि चंद्रमा पर परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण जटिल है। बता दें कि रूस ने पहले कहा था कि वह ऐसा परमाणु प्लांट बना रहा है, जिसे चंद्रमा पर स्थापित करने में मनुष्यों की कम से कम जरूरत होगी। इसके अलावा, रूस और चीन ने 2021 में अंतर्राष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन नामक संयुक्त चंद्रमा बेस बनाने की योजना की घोषणा की थी। जिसका निर्माण 2035 से 2045 के बीच शुरू होने की उम्मीद है। बेस का उद्देश्य चंद्रमा पर वैज्ञानिक अनुसंधान करना है। वहीं, भारत ने 2050 तक चंद्रमा पर बेस स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। हालांकि, भारत का रूस के परमाणु ऊर्जा संयत्र परियोजना से जुड़ना इस उद्देश्य में तेजी ला सकता है।
Arun kumar baranwal